By पं. संजीव शर्मा
व्रत-विधान, पूजन विधि, पौराणिक कथा और गणेश आराधना का महत्व
संकष्टी चतुर्थी, जिसे संकटहरण चतुर्थी, गणेश संकष्टी या संकटमोचक चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश की आराधना के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। इसे हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। चतुर्थी दो प्रकार की होती है:
इनमें सबसे विशेष तब है जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को आ जाए। इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। यह मंगल ग्रह के प्रभाव और गणेश कृपा का अद्वितीय योग बनकर जीवन में शक्ति, साहस, बाधा निवारण और समृद्धि प्रदान करता है।
2025 में कुल बारह संकष्टी चतुर्थियाँ आएंगी। इनमें से 12 अगस्त 2025, मंगलवार की भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अंगारकी चतुर्थी के रूप में मनाई जाएगी। पंचांगानुसार इसकी गणना इस प्रकार है:
तिथि | दिन | माह और पक्ष | चंद्रोदय | तिथि प्रारंभ | तिथि समाप्ति |
---|---|---|---|---|---|
17 जनवरी 2025 | शुक्रवार | माघ, कृष्ण चतुर्थी | रात 8:31 | प्रातः 4:06, 17 जनवरी | 18 जनवरी, प्रातः 5:30 |
16 फ़रवरी 2025 | रविवार | फाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी | रात 8:54 | 15 फ़रवरी, रात्रि 11:52 | 17 फ़रवरी, प्रातः 2:15 |
17 मार्च 2025 | सोमवार | चैत्र, कृष्ण चतुर्थी | रात 8:29 | 17 मार्च, सायं 7:33 | 18 मार्च, रात्रि 10:09 |
16 अप्रैल 2025 | बुधवार | वैशाख, कृष्ण चतुर्थी | रात 9:06 | 16 अप्रैल, दोपहर 1:16 | 17 अप्रैल, अपराह्न 3:23 |
16 मई 2025 | शुक्रवार | ज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी | रात 9:44 | 16 मई, प्रातः 4:02 | 17 मई, प्रातः 5:13 |
14 जून 2025 | शनिवार | आषाढ़, कृष्ण चतुर्थी | रात 9:15 | 14 जून, अपराह्न 3:46 | 15 जून, अपराह्न 3:51 |
14 जुलाई 2025 | सोमवार | श्रावण, कृष्ण चतुर्थी | रात 9:10 | 14 जुलाई, प्रातः 1:02 | 14 जुलाई, रात्रि 11:59 |
12 अगस्त 2025 | मंगलवार | भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी (*अंगारकी*) | रात 8:20 | 12 अगस्त, प्रातः 8:40 | 13 अगस्त, प्रातः 6:35 |
10 सितम्बर 2025 | बुधवार | आश्विन, कृष्ण चतुर्थी | शाम 7:31 | 10 सितम्बर, अपराह्न 3:37 | 11 सितम्बर, दोपहर 12:45 |
10 अक्टूबर 2025 | शुक्रवार | कार्तिक, कृष्ण चतुर्थी | शाम 7:44 | 9 अक्टूबर, रात्रि 10:54 | 10 अक्टूबर, सायं 7:38 |
8 नवम्बर 2025 | शनिवार | मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी | शाम 7:32 | 8 नवम्बर, प्रातः 7:32 | 9 नवम्बर, प्रातः 4:25 |
7 दिसम्बर 2025 | रविवार | पौष, कृष्ण चतुर्थी | शाम 7:26 | 7 दिसम्बर, सायं 6:24 | 8 दिसम्बर, अपराह्न 4:03 |
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय को एक दिव्य फल देने की शर्त रखी। जो भगवान और माता को सबसे शीघ्र प्रदक्षिणा करेगा, वही फल पाएगा। कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर संसार की यात्रा को निकल पड़े। गणेशजी ने विवेक और ज्ञान का प्रयोग कर अपने माता-पिता की सात परिक्रमा की और कहा कि "मेरे माता-पिता ही सारा संसार हैं।" इस बुद्धिमत्ता और गहरी श्रद्धा से प्रसन्न होकर गणेशजी को वह फल मिला और उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान प्राप्त हुआ। यह कथा अंगारकी चतुर्थी के सार को स्पष्ट करती है, भक्ति, श्रद्धा और माता-पिता के आदर का महत्व।
गणेशजी का वाहन चूहा है। चूहा हमारी इच्छाओं, वासनाओं और भय का प्रतीक है। यह मनुष्य की अस्थिर प्रवृत्ति को दर्शाता है। भगवान गणेश का चूहे पर नियंत्रण यह दिखाता है कि साधक जब अपने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण पाता है तब वह सफलता और स्थिरता प्राप्त करता है।
गणेशजी का सबसे बड़ा संदेश है कि माता-पिता और गुरुजनों का आदर करना चाहिए। उनका सच्चा सम्मान और कृतज्ञता हमारे जीवन को पूर्णता प्रदान करती है। अंगारकी चतुर्थी हमें याद दिलाती है कि धर्म, भक्ति और संस्कृति से जुड़े रहना जीवन को सार्थक और सहज बनाता है।
12 अगस्त 2025, मंगलवार को पड़ने वाली अंगारकी संकष्टी चतुर्थी वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण संकष्टी चतुर्थी होगी। इसका पालन श्रद्धा और नियमों से करने से भक्तों के जीवन में बाधाओं का निवारण, कार्यों की सिद्धि, समृद्धि और जीवन का उत्थान सुनिश्चित होता है।
प्रश्न 1: अंगारकी संकष्टी चतुर्थी क्या है और यह क्यों विशेष मानी जाती है?
उत्तर: जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है, तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। यह मंगल ग्रह और गणेशजी की ऊर्जा का संगम है, जो व्रत को 12 सामान्य संकष्टी चतुर्थियों के समान फलप्रद बनाता है।
प्रश्न 2: अंगारकी चतुर्थी 2025 कब मनाई जाएगी?
उत्तर: यह 12 अगस्त 2025, मंगलवार को भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाई जाएगी।
प्रश्न 3: अंगारकी चतुर्थी पर व्रत का पालन कैसे किया जाता है?
उत्तर: भक्त सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं। भोजन में अनाज वर्जित है। केवल फल, दूध या व्रत आहार जैसे साबूदाना, आलू, मूंगफली का सेवन किया जा सकता है।
प्रश्न 4: इस दिन पूजा में क्या-क्या अर्पण करना चाहिए?
उत्तर: भगवान गणेश को दूर्वा, लाल फूल, मोदक, नारियल, फल अर्पित किए जाते हैं साथ ही गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ और आरती की जाती है।
प्रश्न 5: अंगारकी चतुर्थी से जुड़े प्रमुख लाभ क्या हैं?
उत्तर: यह व्रत बाधाओं का नाश करता है, मानसिक शांति देता है, मंगल दोष से मुक्ति प्रदान करता है और परिवार में समृद्धि लाता है।
अनुभव: 15
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इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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