By पं. संजीव शर्मा
तिथि, शुभ मुहूर्त और प्रदोष उपासना का विस्तृत महत्व
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का सर्वोत्तम माध्यम माना जाता है। शिव पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में प्रदोष व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह व्रत न केवल पुण्यदायक है बल्कि साधक को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की समृद्धि भी प्रदान करता है। कहा गया है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसे सभी प्रकार की सिद्धियाँ, सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत हर चंद्र मास में दो बार आता है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को। यह व्रत अनुशासन, भक्ति और साधना का दिव्य मार्ग है।
अक्टूबर 2025 के प्रदोष व्रत विशेष महत्व रखते हैं क्योंकि इस महीने दोनों व्रत शनिवार के दिन पड़ने जा रहे हैं। शनिवार को जब प्रदोष आता है तो उसे शनि प्रदोष कहा जाता है। शनि प्रदोष एक अत्यंत मंगलकारी संयोजन है जिसमें शिव कृपा और शनि अनुग्रह दोनों का मेल एक साथ प्राप्त होता है। यह संयोजन जीवन की कठिनाइयों को दूर करने, कष्टहारक ग्रहदोषों को शमन करने और साधक के जीवन को नए मार्ग पर अग्रसर करने में अद्वितीय महत्त्व रखता है।
इस विशेष संयोग में, दोनों प्रदोष शनिवार को पड़ रहे हैं, जो इसे दुर्लभ और अद्वितीय बनाता है। ऐसा अवसर जीवन में बहुत कम आता है और इसलिए भक्त लाभ उठाने के लिए विशेष श्रद्धा से पूजन करेंगे।
शनि प्रदोष बार-बार नहीं आता और जब यह आता है तब इसे जीवन की बड़ी बाधाओं और कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। पंचांग और ज्योतिष में इसका विशेष स्थान है। मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति अपने जन्मकुंडली में शनि दोष, राहु-केतु दोष या कालसर्प योग से प्रभावित है, उनके लिए यह व्रत विशेष प्रभावकारी है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और शनि देव की उपासना करने से ग्रहदोष शांति प्राप्त होती है और जीवन की कठिनाइयाँ स्वतः कम होने लगती हैं।
शनि प्रदोष व्रत से जुड़े प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
अक्टूबर 2025 में आने वाले दोनों प्रदोष शनिवार को पड़ रहे हैं। यह दुर्लभ अवसर शिव और शनि उपासना का अद्वितीय संगम है। भक्तों के लिए यह केवल उपवास ही नहीं बल्कि आत्मसंयम, भक्ति और साधना का महान पर्व है। प्रदोष हमें यह शिक्षा देता है कि किसी भी कठिनाई का समाधान अनुशासन और श्रद्धा से संभव है। शनि प्रदोष विशेष रूप से कर्मबाधाओं और जीवन की उलझनों को सरल बनाने वाला है। ये दोनों प्रदोष व्रत दिव्यता, प्रकाश और शांति का मार्ग दिखाते हैं।
प्रश्न 1: अक्टूबर 2025 में प्रदोष व्रत कितनी तिथियों को पड़ेंगे?
उत्तर: 4 अक्टूबर और 18 अक्टूबर दोनों तिथियों को प्रदोष व्रत होंगे और दोनों शनिवार को पड़ेंगे जिन्हें शनि प्रदोष कहा जाएगा।
प्रश्न 2: प्रदोष व्रत किन देवताओं की पूजा का दिन है?
उत्तर: प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। अक्टूबर में दोनों शनिवार को पड़ रहे हैं, इस कारण शनि देव की विशेष पूजा भी की जाएगी।
प्रश्न 3: प्रदोष की संध्या पूजा का श्रेष्ठ समय कब है?
उत्तर: सूर्यास्त से पूर्व और सूर्यास्त के बाद का समय जिसे प्रदोष काल कहा जाता है, उसमें पूजा अत्यंत शुभ फल देती है।
प्रश्न 4: शनि प्रदोष व्रत का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर: ग्रह दोषों का शमन, आर्थिक और मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और कर्म बाधाओं से मुक्ति।
प्रश्न 5: अक्टूबर के प्रदोष का कौन सा विशेष योग महत्वपूर्ण है?
उत्तर: 4 अक्टूबर के प्रदोष व्रत के दिन द्विपुष्कर योग का विशेष संयोग रहेगा। यह योग अनुष्ठानों को अत्यंत फलप्रद बनाता है।
अनुभव: 15
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इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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