By पं. नीलेश शर्मा
सप्तम भाव में चंद्रमा की स्थिति के वैवाहिक, व्यावसायिक और सामाजिक प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में सप्तम भाव विवाह, साझेदारी, अनुबंध, व्यावसायिक संबंध और विदेश यात्रा जैसे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है। जब इस भाव में चंद्रमा स्थित होता है, तो यह व्यक्ति के भावनात्मक दृष्टिकोण, सामाजिक संबंधों और जीवनसाथी के साथ जुड़ाव पर गहरा असर डालता है। चंद्रमा का स्वभाव मन और भावनाओं को नियंत्रित करता है, इसलिए इस स्थिति में मानसिक स्थिरता, संवेदनशीलता और सहानुभूति का विशेष मेल देखने को मिलता है।
यह योग व्यक्ति को समझदार, सामाजिक और नेतृत्व की क्षमता से युक्त बनाता है। साथ ही यह इंगित करता है कि जीवन में अनेक यात्राएं होंगी, विशेषकर जलमार्ग या जल के समीप रहने की संभावना बढ़ जाती है।
सप्तम भाव में चंद्रमा वाले लोग प्रायः स्पष्टवादिता, उदारता और समझौते की प्रवृत्ति रखते हैं। इनकी स्फूर्ति और कार्यकुशलता प्रशंसनीय होती है, हालांकि कुछ लोग इन्हें कभी-कभी अभिमानी मान सकते हैं। विवाह अपेक्षाकृत जल्दी हो सकता है और जीवनसाथी के साथ गहरा आत्मीय संबंध बनता है। अक्सर दोनों का शारीरिक आकर्षण और जीवन के प्रति समान रुचियां होती हैं।
ऐसे जातक जीवनसाथी के साथ लंबी यात्राओं का आनंद लेते हैं। संतान भी यात्राप्रेमी होती है और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करती है, हालांकि कई बार व्यापार में परिवर्तन करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
चंद्रमा का यह स्थान व्यापार, कानून, आयात-निर्यात, होटल, रेस्टोरेंट, तेल और रसायन से जुड़े क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से अनुकूल है। इन व्यक्तियों में सौदेबाजी की उत्कृष्ट क्षमता होती है, जो मातृ पक्ष से प्राप्त हो सकती है।
सुव्यवस्थित कार्यशैली और अनिश्चितताओं को दूर करने की क्षमता इन्हें करियर में सफलता दिलाती है। विदेश गमन की इच्छा होने पर थोड़े प्रयास से यह लक्ष्य पूरा हो सकता है।
राशि | प्रभाव |
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कर्क | जीवनसाथी के प्रति भावनात्मक जुड़ाव, बिना सलाह निर्णय न लेना |
वृषभ | भौतिक सुखों की ओर झुकाव, विलासिता में संतुष्टि |
वृश्चिक | निष्ठावान लेकिन अत्यधिक जुड़ाव के कारण निजी स्थान की आवश्यकता |
योग का नाम | स्थिति | प्रभाव |
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केमद्रुम योग | चंद्रमा अकेला हो और दोनों ओर कोई ग्रह न हो | वैवाहिक आनंद में कमी, आर्थिक और पेशेवर लाभ में बाधा |
चंद्र मंगल योग | मंगल और चंद्रमा की युति | स्वास्थ्य, धन, मान-सम्मान और लोकप्रियता |
गज केसरी योग | बृहस्पति चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें भाव में | बुद्धिमत्ता, समृद्धि और प्रतिष्ठा |
सप्तम भाव में चंद्रमा व्यक्ति को सामाजिक संपर्क में कुशल बनाता है। यह स्थान दर्शाता है कि जीवनसाथी ऊर्जा और आत्मविश्वास का मुख्य स्रोत होगा। ऐसे लोग दूसरों के साथ समझौते और सहयोग को महत्व देते हैं और संबंधों में सामंजस्य बनाए रखते हैं।
सप्तम भाव में चंद्रमा संबंधों, साझेदारी और जीवन की दिशा को प्रभावित करता है। यह योग भावनात्मक जुड़ाव, सामाजिक सफलता और व्यावसायिक प्रगति के अनेक अवसर प्रदान करता है, बशर्ते कि व्यक्ति अपने निर्णयों में संतुलन बनाए और रिश्तों में सामंजस्य कायम रखे।
अनुभव: 25
इनसे पूछें: करियर, पारिवारिक मामले, विवाह
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि.
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