छठे भाव में राहु के शुभ-अशुभ प्रभाव, स्वास्थ्य, करियर, संघर्ष और उपाय
वैदिक ज्योतिष में छठे भाव को रोग, ऋण और शत्रु का स्थान माना जाता है। यह भाव स्वास्थ्य, नौकरी, सेवा, दैनिक दिनचर्या, विवाद और मुकदमेबाजी से जुड़ा होता है। जब राहु इस भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति के संघर्षों का सामना करने की क्षमता, रोग प्रतिरोधक शक्ति और कार्यक्षेत्र में सफलता पर गहरा असर डालता है। शुभ स्थिति में यह व्यक्ति को साहसी, स्थिरचित्त और विजयी बनाता है, जबकि अशुभ स्थिति में जटिल स्वास्थ्य समस्याएं और वित्तीय चुनौतियां ला सकता है।
राशि | प्रभाव |
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वृषभ | उच्च राहु अत्यधिक धन, गुप्त आय के स्रोत, विदेशी सौदों से लाभ और करियर में उन्नति देता है। |
वृश्चिक | नीच राहु गुप्त विद्या और रहस्यमय कार्यों में दक्षता देता है, परंतु मानसिक स्थिरता घटा सकता है। |
योग | विवरण |
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गुरु चांडाल योग | राहु और बृहस्पति की युति से यह योग बनता है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बाधाएं और कार्यों में देरी ला सकता है। |
अंगारक योग | राहु और मंगल की युति से यह योग बनता है, जो क्रोधपूर्ण स्वभाव और भाई-बहनों से संबंधों में तनाव ला सकता है। |
महापद्म कालसर्प योग | राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में होने पर यह योग बनता है, जो आध्यात्मिक यात्रा और नेतृत्व क्षमता देता है, परंतु वित्तीय चुनौतियां भी ला सकता है। |
प्र1: क्या छठे भाव का राहु शत्रुओं पर विजय देता है?
हाँ, यह शत्रुओं को पराजित करने की शक्ति और रणनीति देता है।
प्र2: क्या यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है?
शुभ स्थिति में यह मजबूत स्वास्थ्य और बीमारियों से जल्दी मुक्ति देता है।
प्र3: क्या यह करियर में लाभ देता है?
हाँ, यह नौकरी में पदोन्नति और सफलता के अवसर देता है।
प्र4: महापद्म कालसर्प योग का क्या प्रभाव है?
यह योग नेतृत्व क्षमता और आध्यात्मिक प्रगति देता है, पर वित्तीय चुनौतियां भी लाता है।
प्र5: राहु की अशुभता कैसे कम करें?
राहु यंत्र की स्थापना, सतनाजा दान और गोमेद रत्न धारण इसके प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं।
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