By पं. अभिषेक शर्मा
पाताल लोक, पंचमुखी रूप, तांत्रिक प्रसंग, राम-लक्ष्मण अपहरण, हनुमान की विजय
रामायण की विस्तृत कथाओं के बीच कहीं गहरे छिपा है अहिरावण का प्रसंग। जहाँ एक ओर रावण, कुम्भकर्ण, विभीषण जैसे पात्रों का नाम सभी जानते हैं, वहीं पाताल लोक के रहस्यमय अधिपति, अहिरावण की कथा आज भी कई लोगों के लिए अनसुनी है। अहिरावण की कहानी केवल एक युद्ध, एक दुश्मन या एक जीत की कहानी नहीं-यह सत्य, साहस, तंत्र-विज्ञान और धर्म के त्रिकोण पर घूमती गहन गाथा है। यह प्रसंग विशेषकर उन क्षणों के लिए अनूठा है जब जीवन में भीतरी अंधेरा इतना गहरा हो जाए कि बाह्य प्रकाश या साधारण रास्ते भी नजर न आएं।
पुराणों के अनुसार, अहिरावण (माहीरावण के रूप में भी उल्लेखित) लंका के राजा रावण का भाई या कभी-कभी मामा का पुत्र कहा गया है। अहिरावण की ताकत केवल बाहरी शक्ति, सेनाएँ या शस्त्र नहीं थी बल्कि उसके पास मायाजाल, रूपांतरण और तंत्र विद्या की अतुल्य सिद्धियाँ थीं। पाताल लोक का राजा होने के कारण उसका राज्य अंधकार, रहस्य, तांत्रिक शास्त्रों, साधकों और अनेक राक्षसों का गढ़ था।
चरित्र | पहचान/रिश्ता | विशेष शक्तियाँ | पौराणिक सन्दर्भ |
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अहिरावण | रावण का भाई/मामा का पुत्र | अदृश्यता, माया, तंत्र, रूपांतरण, पाताल शासन | दक्षिण भारतीय रामायण, कंबन, बंगाली लोककथाएँ |
माहीरावण | अहिरावण का ही अन्य रूप | समान गुण | कई क्षेत्रीय कथाएँ |
पाताल लोक के शासन में अहिरावण को अनेक अभेद्य दुर्ग, दिव्य अस्त्र-शस्त्र, भयावह राक्षस और तांत्रिक संरक्षण प्राप्त था। तंत्र, मंत्र और योगबल के ज्ञाता के रूप में उसकी पहचान थी। दक्षिण भारत में तो अहिरावण को ‘काल-योगी’ भी कहा गया है।
लंका युद्ध के दौरान बार-बार हार का सामना करने पर रावण ने अहिरावण से मदद माँगी। अहिरावण ने विभीषण का रूप धर के वानर शिविर में प्रवेश किया और रात्रि में चुपचाप श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया। इन्हें पाताल लोक में ले जाकर देवी महाकाली के लिए यज्ञ-बलि देने का निर्णय लिया गया, ताकि रावण और अहिरावण को अनंत शक्ति, अमरता और विजय प्राप्त हो सके।
यह षड्यंत्र केवल राजनीतिक नहीं, गूढ़ तांत्रिक/आध्यात्मिक भी था-क्योंकि माना जाता है कि पाताल लोक में बलिदान से इंसान की आत्मा बंध जाती है और तांत्रिक को असाधारण सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
हनुमान जी ने जैसे ही दोनों राजकुमारों के गायब होने की खबर पाई, वैसे ही उन्होंने विलंब किए बिना खोज शुरू की। हनुमान के लिए केवल एक ही ध्येय था-राम-लक्ष्मण की रक्षा। उन्होंने पाताल लोक की ओर प्रस्थान किया, जहां उन्हें भयावह राक्षस सेना, मायावी बंदीगृह और कई तरह की विचित्र बाधाएं मिलीं। पाताल लोक में हर कदम पर नए रहस्य, तंत्र और शक्ति के खेल थे।
हनुमान ने भारी प्रयास, तंत्र प्रयोग और ध्यान से वह स्थान खोज निकाला जहां श्रीराम और लक्ष्मण यज्ञ के लिए बंधे हुए थे। वह कक्ष, जिसकी रक्षा शक्तिशाली रक्षकों, माया और पंचदीपों के चमत्कारी विधान से हो रही थी।
चरण | हनुमान की विशेषता/शक्ति | संकेत |
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राक्षस सेना का सामना | निर्भीकता, बल | युद्ध-कुशलता, मानसिक संतुलन |
तांत्रिक बंदीगृह | विजय, अथचिंत लक्ष्य | बाधाएँ पार करने की क्षमता |
देवी की आज्ञा | समर्पण, श्रद्धा | मार्गदर्शन, आदर्श शिष्यत्व |
हनुमान को देवी से ज्ञात हुआ कि अहिरावण केवल तभी मारा जा सकता है, यदि एक साथ पांच दिशाओं में जल रहे दीपकों को एक ही पल में बुझाया जाए। इसके लिए हनुमान ने पंचमुखी रूप-पूर्व में हनुमान, पश्चिम में नरसिंह, दक्षिण में गरुड़, उत्तरा में वराह, ऊर्ध्व में हयग्रीव-धारण किया। पांचों मुखों ने अलग-अलग दीयों को बुझाया और उसी क्षण अहिरावण का वध हो गया।
पंचमुखी स्वरूप | दिशा | गुण/शक्ति |
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हनुमान | पूर्व | साहस, भक्तिपूर्ण संकल्प |
नरसिंह | पश्चिम | रक्षा, तेज |
गरुड़ | दक्षिण | तांत्रिक विवेक |
वराह | उत्तरा | संकटमोचन, शक्ति |
हयग्रीव | ऊर्ध्व | विद्या, उत्तम विवेक |
पंचमुखी हनुमान के इस रूप का जप व पूजा आज के समय में भी बेहद प्रभावशाली मानी जाती है। यह तांत्रिक बाधा, पारिवारिक विवाद, अनिष्ट, मानसिक दुविधा और ग्रह-बाधाओं के लिए अचूक उपाय है।
हनुमान के पराक्रम से अहिरावण खत्म हुआ, श्रीराम और लक्ष्मण मुक्त हो गए। पाताल लोक के प्रहरी भी इस कर्म से धन्य हो गए। यह प्रसंग दर्शाता है कि कितना भी बड़ा संकट हो, आस्था, बुद्धि और संयमावस्था में संतुलन बना रहे तो जीत निश्चित है।
परंपरा के अनुसार, मंगलवार और शनिवार पंचमुखी हनुमान के लिए विशेष माने जाते हैं। संकटमोचन हनुमान मंदिरों में पंचमुखी रूप की मूर्तियों पर विशेष रूप से काला तिल का तेल, सिंदूर, व अश्वगंधा अर्पित की जाती है। रक्षासूत्र, पंचमुखी हनुमान कवच एवं मंत्र जाप-ये सभी उपाय घर, ग्रह या कार्यक्षेत्र में सुख-शांति के लिए लोकप्रिय हैं।
उपाय | लाभ |
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पंचमुखी मंत्र जाप | तंत्र-मंत्र, बुरी ऊर्जाएं, भयशमन |
लाल/काला धागा | नकारात्मकता, घर-व्यापार में रक्षा |
पंचमुखी हनुमान कवच | तांत्रिक एवं मानसिक बाधा निवारण |
पंचमुखी दीप दान | संतान, स्वास्थ्य, समृद्धि में वृद्धि |
प्रश्न 1: पंचमुखी हनुमान की पूजा का क्या मानसिक फल है?
उत्तरा: यह मन को केंद्रीकरण, भय मुक्ति और निर्णायक दृढ़ता देती है; अवचेतन में छुपे भय-भ्रम या चिंता दूर होती है।
प्रश्न 2: क्या अहिरावण का वध केवल दक्षिण भारतीय रामायणों में ही मिलता है?
उत्तरा: हाँ, महाभारत, बंगाली रामायण, तमिल 'कंबन रामायण' और कुछ लोकगाथाओं में अहिरावण का उल्लेख विपुल मात्रा में है। उत्तरा भारतीय रामायणों में यह बहुत संक्षिप्त या अनुपस्थित है।
प्रश्न 3: पंचमुखी हनुमान के कौन-कौन से स्वरूप सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं?
उत्तरा: हनुमान (पूर्वमुख), नरसिंह (पश्चिम), गरुड़ (दक्षिण), वराह (उत्तरा), हयग्रीव (ऊर्ध्व)।
प्रश्न 4: क्या पंचमुखी हनुमान की आराधना विद्यार्थियों, नौकरीपेशा या व्यापारियों के लिए भी उपयुक्त है?
उत्तरा: हाँ, क्योंकि यह रूप ज्ञान, साहस, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा देता है-हर क्षेत्र के लिए श्रेष्ठ है।
प्रश्न 5: अहिरावण की कथा से क्या मुख्य शिक्षा मिलती है?
उत्तरा: जब आप अपने जीवन के सबसे गहरे अंधकार/संकट में हों तो दिमाग, शक्ति, विश्वास और सही मार्गदर्शक के संतुलन से हर बाधा दूर की जा सकती है।
अहिरावण का चरित्र रामायण को सिर्फ तांत्रिक या युद्ध की क़हानी नहीं बल्कि साहस, विविधता, निर्णय, आस्था और सांद्र बौद्धिकता के धरातल पर एक महान संदेश देता है। पंचमुखी हनुमान की शक्ति, श्रीराम-लक्ष्मण की मुक्ति और अहिरावण का पतन-यह सब मिलकर यही याद दिलाते हैं कि जीवन के जटिल से जटिल क्षणों में भी सही दृष्टि, बहुपरिणामी शक्ति और सच्ची श्रद्धा से धर्म की विजय अवश्य होती है।
अनुभव: 19
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