By पं. अमिताभ शर्मा
आत्मबल, निर्णय, आध्यात्मिक शक्ति, हनुमान से जीवन कौशल
कभी-कभी जीवन में ऐसा अनुभव होता है कि चारों दिशाएं बंद हैं-कोई राह नज़र नहीं आती, चाहकर भी कदम आगे नहीं बढ़ते। हर व्यक्ति इस स्थिति से गुजरता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे समय में आप अपने निर्णय, साहस और आत्मबल को कैसे जगाते हैं। श्रीहनुमान का नाम आते ही मन में श्रद्धा और शक्ति का भाव स्वतः प्रकट होता है। वे सिर्फ शक्ति या भक्ति के प्रतीक नहीं बल्कि जीवन संघर्ष, धैर्य, स्व-विश्वास, निरंतर प्रयास और संकल्प का महान आदर्श हैं। जब सबकुछ धुंधला हो तब हनुमान जी के दिशाबोध की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
प्रायः हम अपने रुकने का कारण 'अभी समय नहीं आया', 'पूरी जानकारी मिलते ही शुरू करेंगे', 'कुछ दिन और सोचूंगा' जैसी बातों में देख लेता है। ये तर्क बाहर से समझदारी के प्रतीक लगते हैं, लेकिन अक्सर इनके मूल में डर, असुरक्षा और पिछले अनुभवों की छाया होती है। श्रीहनुमान ने अपने जीवन में कभी भी ‘परफेक्ट कंडीशन’ या पूरी स्पष्टता का इंतजार नहीं किया। उन्होंने सच्चे उद्देश्य, विश्वास और परम लक्ष्य के प्रति आस्था में ही अपना मार्ग चुना।
यह स्थिति ऊपरी तौर पर आलस्य जैसी लगती है, लेकिन असल में यह मानसिक थकावट, विकल्पों का बोझ, सही-गलत की दुविधा और निरंतर संघर्ष का परिणाम है। कभी-कभी हमारी दिनचर्या, सोशल मीडिया, दूसरे लोगों की बातें, पिछली असफलताएं या चिंताओं का भार-इन सबका जोड़ मिलकर हमारे मन में एक ब्रेक लगा देता है। तभी श्रीहनुमान की सिखाई अवधारणाएं-जैसे 'राम काज कीन्हें बिना मोहि कहां विश्राम'-हमारे लिए रोशनी का काम करती हैं।
स्थिति | कारण | हनुमान से समाधान |
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निर्णय न ले पाना | असफलता का डर, असमर्थता की बात | श्रद्धा पूर्ण प्रयास, जप और प्रेरणा |
बार-बार सोच में उलझना | सामाजिक दबाव, जानकारी की कमी | छोटी शुरुआत, आत्म-संवाद |
उत्साह में गिरावट | थकान, आदतों की जड़ता, जुनून का क्षरण | 'संकटमोचन' का ध्यान, स्वास्थ्य संयम |
हनुमान की सबसे बड़ी छलांग केवल पौराणिक कथा नहीं, एक सामाजिक-अध्यात्मिक संदेश भी देती है। जब पूरी वानर सेना बदहवास थी तब स्वयं हनुमान को भी अपनी शक्ति याद नहीं थी। जामवंत ने हनुमान को “तुम्हें अपनी असली ताकत स्मरण करो” का उपदेश दिया-वहीं ‘झूला’ शुरू हुआ। हनुमान का 'संकोच से साहस' तक का सफर बताता है कि अधिकांश लोग खुद की शक्ति तब तक भूल जाते हैं जब तक वह किसी बड़े कार्य के लिए पुकारे नहीं जाते। हमारी आंतरिक शक्ति, जज्बा, जुनून तब बाहर आता है, जब चुनौती सबसे मुश्किल होती है।
हनुमान केवल एक योद्धा नहीं, वे 'अंजनी पुत्र' के रूप में मां की ममता, 'केसरी नंदन' के रूप में पिता की प्रेरणा, 'रामदूत' के रूप में परम भक्त, 'पंचमुखी' अवतार में बहुआयामी शक्ति, 'संकटमोचन' की करुणा में त्वरा और विजय का मार्ग देते हैं। उनके पंचमुखी स्वरूप-पूर्व (हनुमान), पश्चिम (नरसिंह), उत्तरा (वराह), दक्षिण (गरुड़) और ऊर्ध्व (हयग्रीव)-हर दिशा में ‘कर्म’ और ‘संकल्प’ का संकेत हैं।
हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण-यह सब केवल स्तुति या मंत्र नहीं बल्कि कठिन समय में आत्म-अनुशासन, ध्यान, शांति और केंद्रितता प्राप्त करने का विज्ञान है। जाप, ध्यान, सत्संग, सुबह उठकर हनुमान जी को जल चढ़ाना, मंगलवार और शनिवार को विशेष आरती-ये सब हमारी ऊर्जा को पुनःजागृत करने के व्यावहारिक उपकरण हैं।
साधना/मंत्र | प्रभाव |
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"ॐ हनुमते नमः" | आत्मबल, साहस, मन, शक्ति |
मंगलवार अर्चना | मानसिक स्पष्टता, भयदूर, स्वास्थ्य |
सुंदरकांड पाठ | बाधा निवारण, संकट समाधान |
जब भी लगे कि आगे क्या, कहाँ जाना है, कौन सा राह लें-हनुमान जी के दर्शन और चरित्र को ‘रोल मॉडल’ की तरह देखना चाहिए। उनके भीतर करुणा, परिचय, पराक्रम, तथा विनम्रता का संगम है। वे दिखाते हैं कि आवश्यकतानुसार ‘भय’ को पीछे छोड़कर, पहले कदम की अनिवार्यता को स्वीकार किया जाना चाहिए।
जीवन में आगे बढ़ते ही रास्ता मिलता है-सोचते-सोचते इंसान थक जाता है, लेकिन चलते-चलते परिवर्तन स्वतः होता है। ठीक वैसे, जैसे नदी चट्टान पर बहते हुए अपना मार्ग गढ़ती है, वैसे ही जीवन की दिशा 'कदमों का विज्ञान' से तय होती है।
अक्सर बच्चे, छात्र या युवा नई जगह, परीक्षा या करियर की दिशा में डर महसूस करते हैं। उनके लिए हनुमान जी की ‘श्रद्धा के साथ छलांग’ और ‘हनुमान चालीसा’ अभ्यास अमूल्य है। वरिष्ठ नागरिक अपने अनुभव, जिजीविषा और संस्कार का उपयोग करके परिवार, समाज या खुद के लिए मार्गदर्शन की भूमिका निभा सकते हैं। जीवन में ‘आसन न होने’ की स्थिति में हनुमान चालीसा का पाठ समूह रूप में अपार मानसिक संतुलन देता है।
प्रश्न 1: जब बार-बार असफलता मिले या पुराने घाव खुल जाएं तब हनुमान की शिक्षा कैसे मदद करती है?
उत्तरा: हनुमान जी की ‘संकटमोचन’ शक्ति, बार-बार उठने, आत्मविश्वास लौटाने और बाधाएँ काटने का अद्वितीय स्रोत है।
प्रश्न 2: कर्म क्या केवल बाहरी होना चाहिए, या मानसिक साधना भी जरूरी है?
उत्तरा: दोनों जरूरी हैं-मन को केंद्रित, शरीर को सक्रिय और उद्देश्य को स्पष्ट रखने के लिए मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक अभ्यास आवश्यक है।
प्रश्न 3: तेजी से आगे बढ़ने वालों को डर और हड़बड़ी दोनों कैसे संतुलित करें?
उत्तरा: हनुमान का चरित्र सिखाता है-स्पष्टता का इंतजार मत करो, आत्मbal और षांति से भागीदारी करो; संतुलित रहो, किन्तु निष्क्रिय न बनो।
प्रश्न 4: हनुमान के किस अवतार या गुण का अभ्यास आज के जीवन में सबसे उपयुक्त है?
उत्तरा: संकटमोचन और पंचमुखी हनुमान-ये शक्ति और करुणा दोनों के परम स्वरूप हैं।
प्रश्न 5: आत्मबलयुक्त निर्णय लेने की व्यावहारिक सलाह क्या है?
उत्तरा: समूह में खुली बातचीत, नियमित साधना, वृद्धों/गुरुजनों की सलाह और अपने अनुभव को छोटी-छोटी कोशिशों में बदलना।
श्रीहनुमान का चरित्र हमें सिखाता है कि ठहराव कभी अंतिम नहीं होता। साहस, भक्ति और कर्तव्य के छोटे-छोटे कदम जीवन को गति, अर्थ और शक्ति देते हैं। सबसे बड़ा मंत्र यही है-किसी भी समय, जीवन में रुकावट आए, तो पहले साहस और श्रद्धा से एक कदम बढ़ाओ, आगे का रास्ता स्वतः बनता जाएगा।
अनुभव: 32
इनसे पूछें: जीवन, करियर, स्वास्थ्य
इनके क्लाइंट: छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
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