By पं. सुव्रत शर्मा
सूतक काल के नियम, महत्व और पितृ पक्ष संग इसका विशेष संबंध
7 सितंबर 2025 को पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित विश्व के कई भागों में दिखाई देगा। यह ग्रहण रात के आसमान में रक्तवत लाल आभा के साथ देखा जाएगा जिसे सामान्यतः "ब्लड मून" कहा जाता है। यह खगोलीय दृश्य न केवल आकार्षक होगा बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व से भरपूर होगा। इस वर्ष का ग्रहण पितृ पक्ष के पहले दिन पड़ रहा है जिससे इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
हिंदू परंपरा के अनुसार चंद्र ग्रहण से लगभग 9 घंटे पूर्व सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। 7 सितंबर 2025 को ग्रहण का सूतक दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ होगा और 8 सितंबर की रात 1:26 बजे ग्रहण समाप्त होने तक चलेगा। इस काल में सभी धार्मिक नियम और परंपराएँ पालन किए जाने आवश्यक होते हैं।
तिथि | घटना | समय (IST) |
---|---|---|
7 सितंबर 2025 | सूतक आरंभ | दोपहर 12:57 बजे |
7 सितंबर 2025 | चंद्र ग्रहण आरंभ | संध्या 4:57 बजे लगभग |
8 सितंबर 2025 | चंद्र ग्रहण समाप्त | रात 1:26 बजे |
8 सितंबर 2025 | सूतक समाप्त | रात 1:26 बजे |
धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण काल में राहु और केतु के प्रभाव से धरती का वातावरण अशुद्ध और असंतुलित हो जाता है। इसी कारण इस काल को अशुभ मानते हुए विशेष सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। ऊर्जा में अस्थिरता और विकार आने के कारण व्यक्ति को अपने आहार, आचरण और विचारों में शुद्धता बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
सूतक काल आत्मसंयम और साधना का समय माना गया है। इस अवधि में व्यक्ति अपने को बाह्य कार्यों से अलग कर ध्यान, जप और प्रार्थना पर केंद्रित करता है। यह आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का उपयुक्त अवसर समझा जाता है।
इस वर्ष का चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष की प्रथम तिथि पर पड़ रहा है। पितृ पक्ष की अवधि पितरों की स्मृति और श्राद्ध कर्मों के लिए समर्पित होती है। परंपरा है कि पितृ तृप्ति हेतु श्राद्ध एवं तर्पण के कार्य सूतक समाप्त होने के बाद ही किए जाते हैं। इस प्रकार यह ग्रहण पितृ कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष महत्व रखता है।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। लालिमा युक्त आभा पृथ्वी के वातावरण में प्रकाश के परावर्तन से उत्पन्न होती है। यद्यपि यह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, परंतु धार्मिक दृष्टि में यह आत्मसंयम और ऊर्जाओं के शुद्धिकरण का काल माना गया है।
चंद्र ग्रहण को केवल एक खगोलीय घटना मानना उचित नहीं है। यह समय व्यक्ति के लिए आत्मचिंतन, साधना और आत्मिक शुद्धि का उपयुक्त अवसर लेकर आता है। सूतक काल के नियम केवल निषेध नहीं बल्कि एक व्यवस्था है जो व्यक्ति को अशुद्धियों से दूर करके अंतर्मुख बनाता है। इस प्रकार ग्रहण आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर के निकट आने का माध्यम बनता है।
प्रश्न 1: 7 सितंबर 2025 को सूतक का आरंभ किस समय होगा?
उत्तरा: दोपहर 12:57 बजे सूतक आरंभ होगा और यह 1:26 बजे रात तक चलेगा।
प्रश्न 2: सूतक में भोजन पर प्रतिबंध क्यों है?
उत्तरा: माना जाता है कि इस दौरान भोजन नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है। सूतक में पकाना और खाना वर्जित है।
प्रश्न 3: क्या विवाह या हवन जैसे मांगलिक कार्य सूतक में किए जा सकते हैं?
उत्तरा: नहीं, ये सभी कार्य सूतक समाप्त होने के बाद किए जाते हैं।
प्रश्न 4: गर्भवती महिलाओं को किन बातों का पालन करना चाहिए?
उत्तरा: घर के भीतर रहना, शांतचित्त रहना और नुकीली वस्तुओं का प्रयोग न करना आवश्यक माना गया है।
प्रश्न 5: इस वर्ष का ग्रहण विशेष क्यों है?
उत्तरा: इस वर्ष ग्रहण पितृ पक्ष के प्रथम दिन है इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। पितृ कार्य सूतक समाप्त होने के बाद किए जाते हैं।
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