By पं. अभिषेक शर्मा
सूंड की अलग-अलग दिशाएँ और उनका आध्यात्मिक संदेश
गणपति बप्पा केवल समृद्धि और विघ्नहर्ता के प्रतीक नहीं हैं बल्कि उनका स्वरूप गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा को भी दर्शाता है। क्या आपने ध्यान दिया है कि गणेश जी की मूर्तियों में उनकी सूंड की दिशा अलग-अलग हो सकती है? यह मात्र संयोग नहीं है बल्कि प्रत्येक दिशा का विशेष महत्व है और यह अलग-अलग ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है।
सबसे सामान्य रूप वही है जिसमें गणेश जी की सूंड बाईं ओर मुड़ी होती है। यह स्वरूप घरों और मंदिरों में प्रचलित है।
दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश का स्वरूप कम देखने को मिलता है और इसे अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
सबसे दुर्लभ स्वरूप वह है जिसमें गणेश जी की सूंड सामने की ओर सीधी रहती है। यह स्वरूप अत्यंत गहन आध्यात्मिक संकेत देता है।
गणेश जी की सूंड की दिशा हमें यह सिखाती है कि जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
अतः अगली बार जब आप गणपति बप्पा की प्रतिमा देखें, तो उनकी सूंड की दिशा अवश्य देखें। यह आपको यह संकेत दे सकती है कि आपके जीवन में इस समय किस प्रकार की ऊर्जा की आवश्यकता है।
प्रश्न: बाईं ओर सूंड वाले गणेश की पूजा क्यों अधिक प्रचलित है
उत्तर: क्योंकि यह स्वरूप शांति और सौभाग्य का प्रतीक है और घर में सकारात्मकता लाता है।
प्रश्न: दाईं ओर सूंड वाले गणेश की पूजा में सावधानी क्यों रखनी चाहिए
उत्तर: यह स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है और अनुशासन की मांग करता है।
प्रश्न: सीधी सूंड का क्या महत्व है
उत्तर: यह संतुलन और ध्यान का प्रतीक है और साधना में सहायक माना जाता है।
प्रश्न: सूंड की दिशा किस ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है
उत्तर: बाईं ओर सूंड इड़ा नाड़ी (चंद्र ऊर्जा), दाईं ओर सूंड पिंगला नाड़ी (सूर्य ऊर्जा) और सीधी सूंड संतुलन दर्शाती है।
प्रश्न: क्या हर भक्त को अपनी आवश्यकता अनुसार सूंड की दिशा का ध्यान रखना चाहिए
उत्तर: हाँ, क्योंकि प्रत्येक दिशा अलग आध्यात्मिक और जीवनदायी संदेश देती है।
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