By पं. नीलेश शर्मा
अश्लेषा नक्षत्र के चारों पद की ऊर्जा, गुण और जीवन पर उनके प्रभावों की विस्तृत समझ।
अश्लेषा नक्षत्र वैदिक ज्योतिष का नौवां नक्षत्र है, जो कर्क राशि के 16°40′ से 30°00′ तक फैला है। इसका प्रतीक सर्प है, जो गूढ़ता, परिवर्तन और आत्मिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। अश्लेषा नक्षत्र के चारों पद (पाद) इसकी ऊर्जा को अलग-अलग रंग देते हैं। हर पद का अपना स्वभाव, गुण और जीवन पर प्रभाव है। आइए, इन चारों पदों को विस्तार से जानें।
पद | डिग्री (कर्क राशि) | नवांश | स्वामी | मुख्य गुण/ऊर्जा |
---|---|---|---|---|
प्रथम | 16°40′ - 20°00′ | मेष | मंगल | साहस, नेतृत्व, आत्मविश्वास |
द्वितीय | 20°00′ - 23°20′ | वृषभ | शुक्र | महत्वाकांक्षा, व्यावहारिकता, चालाकी |
तृतीय | 23°20′ - 26°40′ | मिथुन | बुध | बुद्धिमत्ता, रहस्यवाद, संवाद कौशल |
चतुर्थ | 26°40′ - 30°00′ | कर्क | चंद्र | संवेदनशीलता, करुणा, आध्यात्मिकता |
नवांश: मेष | स्वामी: मंगल
नवांश: वृषभ | स्वामी: शुक्र
नवांश: मिथुन | स्वामी: बुध
नवांश: कर्क | स्वामी: चंद्र
अश्लेषा नक्षत्र के चारों पद जीवन के अलग-अलग रंग और गहराई दिखाते हैं-कहीं साहस और नेतृत्व, कहीं महत्वाकांक्षा और व्यावहारिकता, कहीं बुद्धिमत्ता और रहस्यवाद, तो कहीं संवेदनशीलता और करुणा। हर पद अपने साथ एक अनूठा जीवन-दर्शन और आत्मिक विकास का मार्ग लेकर आता है। अगर आपको यह जानकारी उपयोगी और रोचक लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ जरूर साझा करें-क्योंकि हर किसी के जीवन में अश्लेषा नक्षत्र के किसी न किसी पद की छाया जरूर होती है!
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