By पं. नीलेश शर्मा
अश्लेषा नक्षत्र के रहस्य, आत्मिक शक्ति और जीवन में इसके सकारात्मक परिवर्तन की गहराई से व्याख्या।
अश्लेषा नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में नौवें स्थान पर आता है। यह कर्क राशि के 16°40′ से 30°00′ तक फैला है और बुध ग्रह के अधीन है। अश्लेषा का अर्थ है “लिपटना” या “जकड़ना” और इसका प्रतीक है सर्प-जो गूढ़ता, रहस्य, परिवर्तन और आत्मिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह नक्षत्र गंडांत का पहला बिंदु है, जहां भौतिक और आध्यात्मिक यात्रा का संगम होता है।
तत्व | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 9वां |
राशि | कर्क (16°40′ - 30°00′) |
नक्षत्र स्वामी | बुध |
देवता | नाग (सर्प) |
तत्व | जल |
स्वभाव | तीक्ष्ण, शोक |
गण | राक्षस |
आराध्य वृक्ष | नागकेसर |
नक्षत्र प्राणी | बिल्ली |
शुभ रंग | काला, लाल |
शुभ रत्न | पन्ना |
शुभ दिन | बुधवार |
भाग्यशाली संख्या | 5, 9 |
नाम अक्षर | दी, डी, डु, डे, दो, मी, दा |
अश्लेषा नक्षत्र के अधिष्ठाता नाग हैं, जो पाताल लोक के स्वामी माने जाते हैं। नागों की शक्ति छुपी हुई, रहस्यमयी और परिवर्तनकारी होती है। यह नक्षत्र कुंडलिनी शक्ति के जागरण से भी जुड़ा है, जो रीढ़ के मूल में छुपी दिव्य ऊर्जा है। अश्लेषा नक्षत्र “विष आश्लेषण शक्ति” का प्रतीक है-यानी विष को साधने और उसका सकारात्मक उपयोग करने की क्षमता।
पद | डिग्री (कर्क राशि) | नवांश | स्वामी | मुख्य गुण/ऊर्जा |
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प्रथम | 16°40′ - 20°00′ | सिंह | सूर्य | नेतृत्व, आत्मविश्वास |
द्वितीय | 20°00′ - 23°20′ | कन्या | बुध | विश्लेषण, व्यावहारिकता |
तृतीय | 23°20′ - 26°40′ | तुला | शुक्र | संतुलन, आकर्षण |
चतुर्थ | 26°40′ - 30°00′ | वृश्चिक | मंगल | गहराई, रहस्य, साहस |
गुण | पुरुष जातक | महिला जातक |
---|---|---|
बुद्धिमत्ता | विश्लेषणात्मक, रणनीतिक | तर्कशील, प्रभावशाली संवाद |
रहस्यवाद | गहरे, छुपे हुए, आत्मरक्षा में निपुण | आत्म-नियंत्रित, निजी बातें छुपाने वाली |
आकर्षण | सम्मोहक आंखें, प्रभावशाली व्यक्तित्व | आत्मविश्वासी, आकर्षक |
चालाकी | अवसरवादी, रणनीतिक | तर्क में निपुण, व्यावहारिक |
संवेदनशीलता | कम, भावनाओं को छुपाने वाले | शर्मीली, नैतिक चरित्र |
नेतृत्व | प्रशासनिक, अधिकारप्रिय | प्रभावशाली, तर्क-विजेता |
नकारात्मकता | कभी-कभी विषैली भाषा या व्यवहार | आलोचना से जल्दी आहत |
पक्ष | विवरण |
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शक्तियाँ | साहसी, निडर, रणनीतिक, आत्मरक्षा में निपुण, परिवर्तनकारी, रहस्यमयी |
कमजोरियाँ | कपट, चालाकी, स्वार्थ, गोपनीयता, कभी-कभी निर्दयता, सामाजिक दूरी |
विशेष सलाह | मधुर बोलें, विश्वासघात से बचें, पड़ोसियों से संबंध मधुर रखें |
मुख्य लक्षण:
प्रशासन, शिक्षा, लेखन, कानून, रिसर्च, रहस्यवाद, राजनीति, प्रबंधन आदि क्षेत्रों में ये महिलाएँ अपनी छाप छोड़ सकती हैं।
गुण | अश्लेषा पुरुष | अश्लेषा महिला |
---|---|---|
बुद्धिमत्ता | विश्लेषणात्मक, रणनीतिक | तर्कशील, संवाद में निपुण |
रहस्यवाद | गहरे, छुपे हुए, आत्मरक्षा में निपुण | आत्म-नियंत्रित, निजी बातें छुपाने वाली |
आकर्षण | सम्मोहक आंखें, प्रभावशाली व्यक्तित्व | आत्मविश्वासी, आकर्षक |
नेतृत्व | प्रशासनिक, अधिकारप्रिय | प्रभावशाली, तर्क-विजेता |
संवेदनशीलता | कम, भावनाओं को छुपाने वाले | शर्मीली, नैतिक चरित्र |
सामाजिकता | सीमित, आत्मरक्षा में निपुण | परिवार के प्रति समर्पित, संवाद कुशल |
नकारात्मकता | कभी-कभी कठोर या निर्दयी | आलोचना से जल्दी आहत |
अश्लेषा नक्षत्र के पुरुष और महिलाएँ दोनों ही गहरे, रहस्यमयी और आत्मरक्षा में निपुण होते हैं। इनका जीवन परिवर्तन, आत्म-परिष्कार और गूढ़ता से भरा होता है। अगर ये अपनी बुद्धि, आत्म-नियंत्रण और सकारात्मकता का सही उपयोग करें, तो जीवन में हर चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं।
इस नक्षत्र के तहत जन्मे शिशुओं के लिए उपयुक्त नाम अक्षर: दी, डी, डु, डे, दो, मी, दा
कहा जाता है कि एक बार एक साधक ने नागदेव से पूछा-“आपके पास इतना विष है, फिर भी आप शांत और स्थिर क्यों रहते हैं?”
नागदेव ने उत्तर दिया, “विष का अर्थ केवल नाश नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण और परिवर्तन भी है। जब तक विष को साध लिया जाए, वह औषधि बन जाता है। अश्लेषा नक्षत्र भी यही सिखाता है-अपने भीतर की नकारात्मकता को साधकर, उसे जीवन की शक्ति और परिवर्तन का माध्यम बनाओ।”
विषय | विवरण |
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नक्षत्र देवता | नाग (सर्प) |
नक्षत्र स्वामी | बुध |
तत्व | जल |
स्वभाव | तीक्ष्ण, शोक |
गण | राक्षस |
शुभ रंग | काला, लाल |
शुभ रत्न | पन्ना |
शुभ दिन | बुधवार |
नाम अक्षर | दी, डी, डु, डे, दो, मी, दा |
अश्लेषा नक्षत्र केवल रहस्य, परिवर्तन और गूढ़ता का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्म-परिष्कार, आत्मरक्षा और गहरे जीवन-दर्शन का संदेश भी देता है। यह नक्षत्र सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी विषम परिस्थितियाँ आएं, अगर हम अपने भीतर की शक्ति, बुद्धि और आत्म-नियंत्रण को साध लें, तो हर चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं।
अनुभव: 25
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