भारतीय पुराणों और महाभारत में कद्रू और विनता की कथा अत्यंत प्रसिद्ध है। यह कहानी न केवल नागों और गरुड़ की उत्पत्ति को उजागर करती है, बल्कि इसमें छुपा है शत्रुता, छल, भक्ति और मुक्ति का गहरा संदेश। यह कथा आज भी जीवन में सत्य, धैर्य और विवेक का महत्व समझाती है।
कद्रू और विनता - दो बहनों की इच्छाएँ
- कद्रू और विनता प्रजापति दक्ष की पुत्रियाँ थीं और दोनों का विवाह महर्षि कश्यप से हुआ था।
- एक दिन कश्यप मुनि ने प्रसन्न होकर अपनी दोनों पत्नियों से वरदान माँगने को कहा।
कद्रू ने एक सहस्र (1000) पराक्रमी सर्प पुत्रों की माँ बनने का वर माँगा।
विनता ने केवल दो पुत्रों की माँ बनने का वर माँगा, लेकिन शर्त रखी कि वे दोनों पुत्र कद्रू के हजार पुत्रों से अधिक शक्तिशाली और तेजस्वी हों।
- कद्रू ने 1000 अंडे दिए और विनता ने दो अंडे दिए। समय आने पर कद्रू के अंडों से 1000 नागों का जन्म हुआ, जिनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख थे। विनता के अंडों से अरुण (सूर्य के सारथी) और गरुड़ (भगवान विष्णु के वाहन) का जन्म हुआ।
शर्त और छल - दासी बनने की कथा
- एक दिन कद्रू और विनता ने आकाश में उड़ते हुए एक दिव्य सफेद घोड़े (उच्चैःश्रवा) को देखा।
- कद्रू ने कहा कि घोड़े की पूंछ काली है, जबकि विनता ने कहा कि वह पूरी तरह सफेद है। दोनों ने शर्त लगाई कि जो हारेगी, वह दूसरी की दासी बन जाएगी।
- कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि वे सूक्ष्म रूप में जाकर घोड़े की पूंछ से चिपक जाएँ, जिससे पूंछ काली दिखे। कुछ नागों ने मना किया, तो कद्रू ने उन्हें श्राप दे दिया कि वे भविष्य में सर्प यज्ञ में भस्म हो जाएँगे।
- अगले दिन जब दोनों घोड़े को देखने पहुँचीं, तो पूंछ काली दिखी और विनता शर्त हार गई। विनता को कद्रू की दासी बनना पड़ा।
गरुड़ की मुक्ति के लिए अमृत की खोज
- विनता की दासता से मुक्ति के लिए कद्रू ने शर्त रखी कि यदि नागलोक से अमृत कलश लाया जाए, तो वह विनता को मुक्त कर देगी।
- गरुड़ ने अपनी माँ को दासता से मुक्त कराने के लिए अमृत लाने का संकल्प लिया। उन्होंने देवताओं से युद्ध कर अमृत कलश प्राप्त किया और नागों के पास ले आए।
- इंद्र के कहने पर गरुड़ ने अमृत नागों को न पिलाकर, केवल वहाँ रख दिया। इंद्र ने अमृत को वापस ले लिया, लेकिन गरुड़ की वीरता और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें विष्णु का वाहन बना दिया और नागों को श्राप दिया कि वे गरुड़ का भोजन बनेंगे।
नागों की उत्पत्ति और गरुड़-नाग शत्रुता
- कद्रू के 1000 नाग पुत्रों में शेषनाग, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, कालिया आदि प्रमुख हैं। ये सभी पृथ्वी, पाताल और अन्य लोकों में निवास करते हैं।
- अमृत की घटना और कद्रू के छल के कारण गरुड़ और नागों के बीच शत्रुता जन्मी। गरुड़ को इंद्र से वरदान मिला कि नाग उनके भोजन बनेंगे, इसलिए आज भी गरुड़ और नागों की शत्रुता की कथा प्रसिद्ध है।
- नागों की द्विजिह्वा (दो भागों में बंटी जीभ) भी इसी कथा से जुड़ी है, क्योंकि अमृत के स्थान पर कुश घास चाटने से उनकी जीभ दो भागों में बँट गई थी।