By पं. संजीव शर्मा
अदिति, वर्षा और कृषि का पुनर्वसु नक्षत्र से संबंध हमें जीवन के चक्र, समृद्धि और प्रकृति के संतुलन का संदेश देता है।
पुनर्वसु नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में सातवाँ स्थान रखता है, जो मिथुन राशि के 20°00' से कर्क राशि के 3°20' तक फैला है। इसका स्वामी ग्रह बृहस्पति (गुरु) है और अधिष्ठाता देवी अदिति हैं, जिन्हें देवताओं की माता और सृष्टि की जननी माना जाता है। पुनर्वसु नक्षत्र का अर्थ है "पुनः शुभ" या "प्रकाश की वापसी"-यह नक्षत्र जीवन में नवीनीकरण, आशा, समृद्धि और पुनरुत्थान का प्रतीक है।
अदिति, जो देवताओं की माता हैं, वे प्रकृति की मातृत्व शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। वे जीवनदायिनी ऊर्जा, संरक्षण और पुनर्नवीनीकरण की देवी हैं। वैदिक ग्रंथों में अदिति को आकाश, अनंतता और समस्त जीवों की जननी कहा गया है। उनकी कृपा से ही वर्षा होती है, जो पृथ्वी को हरा-भरा करती है और जीवन को संजीवनी प्रदान करती है। अदिति की शक्ति से ही हर बार सूखे के बाद वर्षा लौटती है, जिससे धरती पर जीवन का चक्र चलता रहता है।
भारतीय कृषि और सांस्कृतिक परंपराओं में पुनर्वसु नक्षत्र का गहरा महत्व है। यह नक्षत्र मानसून के आगमन का संकेत देता है, जो फसलों के लिए आवश्यक जल प्रदान करता है। मानसून की शुरुआत के साथ ही किसान खेतों की जुताई करते हैं और धान की बुआई करते हैं। यह समय जीवन के चक्र में नमी, ऊर्जा और पुनरुत्थान का प्रतीक है। गाँवों में पुनर्वसु के आगमन पर विशेष पूजा, खेतों में हल चलाने और बीज बोने की परंपरा है-मानो धरती माँ को नए जीवन के लिए तैयार किया जा रहा हो।
पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान खेतों में बीज बोना शुभ माना जाता है क्योंकि इस समय वर्षा की संभावना अधिक होती है। वर्षा से खेतों में नमी आती है, जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक है। यह नक्षत्र जीवन के चक्र का भी प्रतीक है-जहाँ हर कठिनाई के बाद पुनरुत्थान होता है, हर सूखे के बाद वर्षा होती है और हर अंत के बाद एक नई शुरुआत होती है। किसान इस नक्षत्र में बोई गई फसल को विशेष शुभ मानते हैं, क्योंकि यह नक्षत्र बार-बार लौटती समृद्धि और आशा का प्रतीक है।
विषय | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 7 (सातवाँ) |
राशि सीमा | मिथुन 20°00' - कर्क 3°20' |
स्वामी ग्रह | बृहस्पति (गुरु) |
अधिष्ठाता देवी | अदिति |
प्रतीक | तरकश, बाण |
तत्व | वायु |
सांस्कृतिक महत्व | मानसून आरंभ, कृषि, वर्षा, पुनरुत्थान |
पुनर्वसु नक्षत्र और अदिति की यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में हर कठिनाई के बाद आशा, पुनरुत्थान और समृद्धि लौटती है। मानसून की वर्षा, फसल की बुआई और जीवन के चक्र में नमी का आगमन इस नक्षत्र की ऊर्जा का जीवंत प्रमाण है। यह नक्षत्र हमें प्रकृति के साथ तालमेल, धैर्य और कृतज्ञता का महत्व समझाता है। पुनर्वसु नक्षत्र: जहाँ जीवन में पुनः प्रकाश और समृद्धि लौटती है, वहीं प्रकृति और मानव का दिव्य संगम होता है।
अनुभव: 15
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