By पं. अभिषेक शर्मा
12 राशियां और उनके स्वामी ग्रह ज्योतिष शास्त्र का मुख्य आधार हैं।

वैदिक ज्योतिष शास्त्र की जड़ें बहुत गहरी हैं। ग्रह, नक्षत्र, भाव और राशियां मिलकर ही किसी भी व्यक्ति की कुंडली को आकार देते हैं। इनमें राशियां सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण आधार हैं। किसी जातक के जीवन का पूरा फलादेश इन्हीं राशियों और उनके स्वामी ग्रहों पर आधारित होता है। आइए विस्तार से जानें कि राशियां क्या होती हैं, इन्हें कैसे गिना जाता है और क्यों ये हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़ी होती हैं।
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आकाश मंडल को जब पृथ्वी से देखा जाता है तो यह एक 360 अंश का भचक्र प्रतीत होता है। इसे बराबर भागों में बांटा गया है।
यानी 12 राशियां गणितीय दृष्टि से भी सटीक हैं और दार्शनिक दृष्टि से भी गहरी।
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हर राशि को एक विशेष प्रतीक और आकृति से जोड़ा गया है, जिससे उनका स्वभाव और विशेषता प्रकट होती है।
| क्रम | राशि का नाम | प्रतीक/आकृति |
|---|---|---|
| 1 | मेष | भेड़ |
| 2 | वृषभ | बैल |
| 3 | मिथुन | जुड़वां |
| 4 | कर्क | केकड़ा |
| 5 | सिंह | शेर |
| 6 | कन्या | कन्या/कौमार्य |
| 7 | तुला | तराजू |
| 8 | वृश्चिक | बिच्छू |
| 9 | धनु | धनुषधारी |
| 10 | मकर | समुद्री बकरी |
| 11 | कुंभ | कलश |
| 12 | मीन | मछली |
इन 12 राशियों का क्रम हमेशा यही रहता है। यही क्रम कुंडली में भावों की गणना और ग्रहों की स्थिति समझने में प्रयोग होता है।
ज्योतिष के अनुसार राशियों को नियंत्रित करने वाले ग्रह भी तय किए गए हैं।
| राशि | स्वामी ग्रह |
|---|---|
| मेष | मंगल |
| वृषभ | शुक्र |
| मिथुन | बुध |
| कर्क | चंद्रमा |
| सिंह | सूर्य |
| कन्या | बुध |
| तुला | शुक्र |
| वृश्चिक | मंगल |
| धनु | गुरु |
| मकर | शनि |
| कुंभ | शनि |
| मीन | गुरु |
राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, इसलिए ये किसी भी राशि के स्वामी नहीं माने जाते।
क्योंकि भचक्र 360 अंश का होता है और उसे 30-30 अंश में बांटने पर 12 हिस्से बनते हैं।
हां। सूर्य और चंद्रमा एक-एक राशि के स्वामी हैं। मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि दो-दो राशियों के स्वामी हैं।
राशि 30 अंश का खंड है, जबकि नक्षत्र 13 अंश 20 कला का खंड होता है।
जन्म समय पर चंद्रमा जिस राशि में होता है, वही जातक की जन्म राशि कहलाती है।
क्योंकि इनके आधार पर ही जीवन के सभी पहलुओं का विश्लेषण और भविष्यवाणी संभव होती है।
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