लाभ पंचमी केवल दीपावली का अंतिम दिन ही नहीं है, यह एक बहुआयामी पर्व है जो भक्ति, व्यापार, ज्ञान और सामाजिक सामूहिकता का संगम है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाने वाला यह उत्सव लाभ (सफलता/समृद्धि), ज्ञान और सौभाग्य का प्रतीक है। विशेषकर गुजरात में यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन से नए व्यावसायिक और आध्यात्मिक आरंभों की शुरुआत होती है।
नाम और विभिन्न अर्थ
लाभ पंचमी नाम ही अपने आप में "शुभ लाभ" की अभिव्यक्ति है। इसमें लाभ (लाभ/सफलता) और पंचमी (पांचवीं तिथि) का मेल है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है:
- सौभाग्य पंचमी : इसमें सौभाग्य और ग्रह-नक्षत्रों से अनुकूल फल प्राप्त करने की कामना होती है।
- ज्ञान पंचमी : जैन समुदाय में विशेष महत्व, जहाँ इस दिन शास्त्रों और अध्ययन उपकरणों की पूजा होती है। इसका भाव है कि सच्चा लाभ केवल ज्ञान और आत्मिक उन्नति है।
- लाखेणी पंचमी : गुजरात के कुछ क्षेत्रों में प्रचलित, जो धन और व्यावसायिक उन्नति का प्रतीक है।
प्रत्येक नाम समृद्धि की अलग-अलग परतों को उजागर करता है, भौतिक उन्नति, आध्यात्मिक ज्ञान और दैवीय भाग्य।
धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएँ
घरेलू आध्यात्मिक पूजन
- प्रातः स्नान और सज्जा : सुबह स्नान करने के बाद घर की शुद्धि और साफ-सफाई की जाती है। दरवाजों पर रंगोली, तोरण और स्वस्तिक-ॐ जैसे प्रतीक अंकित कर शुभता का आमंत्रण किया जाता है।
- सूर्य पूजन और घटस्थापना : जल अर्पण कर सूर्य की उपासना की जाती है। कलश स्थापना कर उसमें आम के पत्ते, नारियल और मौली बांधी जाती है, जो देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का स्वागत है।
- लक्ष्मी-गणेश-शारदा पूजा : लक्ष्मी (धन), गणेश (विघ्नहर्ता) और शारदा (विद्या/सरस्वती) की पूजा होती है। चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, मोदक, मिठाई और शिक्षा के साधनों का अर्पण किया जाता है। व्रत कथा का पाठ और आरती की जाती है।
- प्रसाद वितरण : थेपला, मोहंथाल, लड्डू, फल और मेवे भगवान को अर्पित कर परिवार और पड़ोसियों में बांटे जाते हैं।
व्यापारिक और व्यावसायिक परंपराएँ
- चोपड़ा पूजन : दीपावली के बाद बंद दुकानें पुनः खोली जाती हैं। नए खाते की पुस्तकों में "शुभ" और "लाभ" लिखकर स्वस्तिक अंकित किया जाता है। यह नए वित्तीय वर्ष और सफलता का शुभारंभ है।
- प्रारंभिक लेन-देन : अनेक व्यापारी इस दिन छोटा लेन-देन कर वर्ष का पहला सौदा करते हैं, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
- कार्यालय पूजन : दफ्तरों और उद्योग-कारखानों में दीप प्रज्वलित कर लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है। इसमें सभी कर्मचारी और व्यावसायिक साथी शामिल होते हैं।
जैन परंपरा (ज्ञान पंचमी)
- शास्त्र पूजन : पवित्र ग्रंथ निकाले जाते हैं, उनकी सफाई और पूजा होती है। सामूहिक पाठ और प्रवचन आयोजित होते हैं।
- अध्ययन उपकरण पूजन : लेखनी, पुस्तकों और शिक्षण सामग्री की पूजा होती है, जो शिक्षा और विद्या के महत्व को प्रकट करता है।
- उपवास और चिंतन : कुछ लोग उपवास कर ध्यान और आत्मचिंतन में लीन होते हैं, ताकि आने वाला वर्ष संयम और जागरूकता से भरा हो।
सामाजिक और दान परंपराएँ
- भेंट और उपहार : परिवार, रिश्तेदारों और व्यावसायिक सहयोगियों के बीच उपहार और मिठाईयों का आदान-प्रदान होता है।
- सामूहिक भोज : पड़ोस और समुदाय स्तर पर दावत और सहभोज आयोजित होते हैं।
- दान (परोपकार) : जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और सामग्री दान करने की परंपरा है। इसे अर्थ की शुद्धि और पुण्य अर्जन का श्रेष्ठ साधन माना जाता है।
शुभ-लाभ और स्वस्तिक का महत्व
खातों में शुभ और लाभ लिखना केवल परंपरा नहीं बल्कि एक दैवीय आह्वान है। इनके बीच अंकित स्वस्तिक (सत्यिया) संतुलन, भाग्य और देव-सुरक्षा का प्रतीक है।
शुभ मुहूर्त और तिथि
- पर्व तिथि : रविवार, २६ अक्टूबर २०२५
- पंचमी तिथि प्रारंभ : २६ अक्टूबर प्रातः ३:४८ बजे
- पंचमी तिथि समाप्त : २७ अक्टूबर प्रातः ६:०४ बजे
- पूजन का शुभ मुहूर्त : प्रातः ६:४१ बजे से १०:२९ बजे तक
यह अवधि चोपड़ा पूजन और गृहस्थ तथा सांस्कृतिक अनुष्ठानों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
व्यापक सामाजिक प्रभाव
लाभ पंचमी का उत्सव समाज के हर स्तर को छूता है। व्यापारी अपने प्रतिष्ठान खोलते हैं, घरों में पूजा होती है, विद्यार्थी एवं शिक्षक ज्ञान की आराधना करते हैं और लोग दान-परोपकार में लीन होते हैं। यह दिन हमें यह सिखाता है कि वास्तविक समृद्धि केवल भौतिक लाभ में नहीं बल्कि ज्ञान, सदाचरण और सामाजिक सहयोग में निहित है।
दीपावली का यह अंतिम दिन नए वर्ष के लिए शुभारंभ बन जाता है, धन, ज्ञान, करुणा और आशीर्वाद से परिपूर्ण।
प्रश्नोत्तर (FAQ)
प्रश्न १. लाभ पंचमी २०२५ कब मनाई जाएगी?
उत्तर: लाभ पंचमी रविवार, २६ अक्टूबर २०२५ को पंचमी तिथि पर मनाई जाएगी।
प्रश्न २. २०२५ में शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: पूजन का शुभ समय प्रातः ६:४१ बजे से १०:२९ बजे तक रहेगा।
प्रश्न ३. लाभ पंचमी का प्रमुख महत्व क्या है?
उत्तर: यह दीपावली का समापन दिवस है, जो व्यापारिक आरंभ, ज्ञान आराधना, पारिवारिक एकता और समृद्धि का प्रतीक है।
प्रश्न ४. कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
उत्तर: लक्ष्मी-गणेश-शारदा पूजा, चोपड़ा पूजन, शास्त्र एवं लेखनी की आराधना, दान और प्रथम लेन-देन।
प्रश्न ५. गुजरात में यह पर्व विशेष क्यों है?
उत्तर: गुजरात में इस दिन दुकानें खोलकर खाते-व्यापार शुरू किए जाते हैं, जिससे यह नए वित्तीय वर्ष और लाभकारी प्रयासों का शुभारंभ माना जाता है।