By पं. संजीव शर्मा
विष्णु निद्रा परिवर्तन की परंपरा, रोचक साधक कथा, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ
परिवर्तिनी एकादशी वह दिव्य दिन है जब भगवान विष्णु गहरी निद्रा से पलटते हैं और सृष्टि में नवीन ऊर्जा का संचार होता है। यह व्रत आत्मशुद्धि और मानसिक परिवर्तन का प्रतीक है।
चातुर्मास में आने वाले एकादशियों में से यह विशेष महत्व रखती है। 2025 में परिवर्तिनी एकादशी 3 सितम्बर, बुधवार को रहेगी। सुबह 03:53 AM पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी और 4 सितम्बर, 04:21 AM पर समाप्त होगी। पूजा मुहूर्त सुबह 07:35 AM से 09:10 AM तक रहेगा जबकि व्रत पारण 4 सितम्बर 01:46 PM से 04:07 PM तक किया जा सकता है।
पुराणों में वर्णित है कि विष्णु का अवतरणावधि में तीन लोकों की रक्षा हेतु जब वह गहरी निद्रा में सोए होते हैं तो अनिष्ट शक्तियां प्रकट होती हैं। परिवर्तिनी एकादशी पर वे उस निद्रा से पलटकर जागते हैं। पुराणों में इसकी तुलना एक राजा से की गई है जो अपनी रियासत की रक्षा के लिए दौरे से लौटता है। उसकी जागृति से रियासत में प्रसन्नता होती है।
एक बार उज्जैन के साधक चंद्रमोहन ने इस एकादशी का व्रत रखा। उन्होंने तिथि बदलते ही दर्शनार्थ नेत्र खोलकर सोचा कि भगवान अभी सो रहे होंगे। मध्यरात्रि में उन्होंने स्पष्ट दृष्टि से दिव्य अलक दिखे। सुबह जागरण कर वे मंदिर पहुंचे और महसूस किया कि उनकी अंतर्दृष्टि जागी है। इस अनुभव ने उन्हें जीवन में निर्णायक परिवर्तन का मार्ग दिखाया।
व्रत के समय ग्रह दशा भी अनुकूल होती है। चन्द्रमा वक्री होने पर मन शांत रहता है। गुरु का उदय तिथि के भीतर फलदायी माना गया है।
ग्रह / नक्षत्र | प्रभाव |
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चंद्र (वक्र) | भावनात्मक स्थिरता, मनन शक्ति |
बृहस्पति (उदय) | आध्यात्मिक मार्गदर्शन, सफलता |
सूर्य (उदय) | आत्मविश्वास, स्वास्थ्य और समृद्धि |
दीपक की ज्योति आयरन, तांबे जैसे मिश्र धातुओं का आयनिक निर्गमन कर हवा शुद्ध करती है। हवन धुआं औषधीय यौगिक उगलता है जो रोगाणुओं का नाश करता है।
इन विविध लोकाचारों से पता चलता है कि परिवर्तिनी एकादशी का प्रभाव मात्र पूजा तक सीमित नहीं बल्कि सामाजिक समागम और सांस्कृतिक धरोहर है।
प्रश्न 1: परिवर्तिनी एकादशी का असली अर्थ क्या है?
उत्तर: यह भगवान विष्णु की निद्रा परिवर्तन की स्मृति है जो नई ऊर्जा का संचार करता है।
प्रश्न 2: व्रत के वैज्ञानिक लाभ क्या हैं?
उत्तर: हवन धुआं की औषधीय तत्त्व हवा को शुद्ध करता है और दीपक से उत्पन्न आयनिक तरंग मानसिक तनाव कम करती है।
प्रश्न 3: किस समय व्रत पारण करना चाहिए?
उत्तर: 4 सितम्बर को 01:46 PM से 04:07 PM के बीच।
प्रश्न 4: मध्यरात्रि जागरण का महत्व क्या है?
उत्तर: यह जागर सांसारिक चक्र से ऊपर उठने और अंतर्दृष्टि जागृत करने का मार्ग है।
प्रश्न 5: स्थानीय परंपराओं में क्या भिन्नताएं हैं?
उत्तर: बिहार में नाविक दीप, गुजरात में गीत, तमिलनाडु में थिरुविला उत्सव प्रमुख हैं।
अनुभव: 15
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इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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