By पं. संजीव शर्मा
द्वादशी तिथि, श्रवण नक्षत्र, अभिजित मुहूर्त, क्षेत्रीय उत्सव एवं वैज्ञानिक लाभ
वामन जयंती प्रत्येक वर्ष भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार वामन के आगमन की स्मृति में मनाई जाती है। यह पर्व आत्मसात अहंकार पर विनम्रता की विजय का प्रतीक है। 2025 में वामन जयंती गुरुवार, 4 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल द्वादशी तिथि में मनाई जाएगी। इस दिन सभी ब्राह्मण सम्प्रदाय विशेष रूप से व्रत रखते हैं।
घटना | प्रारंभ | समाप्ति |
---|---|---|
द्वादशी तिथि प्रारंभ | 04:21 AM, 4 सितम्बर | |
द्वादशी तिथि समाप्ति | 04:08 AM, 5 सितम्बर | |
श्रवण नक्षत्र प्रारंभ | 11:44 PM, 4 सितम्बर | |
श्रवण नक्षत्र समाप्ति | 11:38 PM, 5 सितम्बर |
त्रेता युग में राजा बलि ने अपनी उदारता और शक्ति से तीनों लोक जीत लिए थे। देवताओं ने असुरों के अत्याचारी राज से त्रास महसूस किया तो इंद्र ने विष्णु को स्मरण किया। विष्णु ने ब्राह्मण वेश धारण कर वामन नाम धारण किया। अश्वमेध यज्ञ के अवसर पर वामन ने राजा से केवल तीन चरण भूमि लेने का आग्रह किया।
बली ने अपने विस्तारहीन हृदय से सहर्ष अनुमति दी। वामन ने पहला चरण पृथ्वी पर रखा और दूसरी चरण आकाश तक फैलाया। तीसरे चरण के लिए बलि ने सम्मानपूर्वक अपना मस्तक अर्पित कर दिया। इस बुद्धिबल से अहंकार का नाश हुआ और धर्म पुनः स्थापित हुआ।
बलि को वरदान मिला कि वे हर वर्ष अपने लोक में दर्शन दे सकेंगे। इस घटना को केरल में ओणम के रूप में मनाया जाता है और देश के अन्य भागों में बली प्रतिपदा के रूप में।
व्रत के समय द्वादशी तिथि का चयन बुद्धि और विवेक को तीव्र करता है। श्रवण नक्षत्र का प्रभाव मनोवैज्ञानिक शांति और शोध क्षमता को बढ़ाता है। अभिजित मुहूर्त में पूजा करने से कार्यों में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
ग्रह / नक्षत्र | सकारात्मक प्रभाव |
---|---|
बुध (बुधवार) | व्यापार, अध्ययन और संवाद में सफलता |
चंद्र (श्रवण) | मानसिक स्थिरता, ध्यान क्षमता |
सूर्य (अभिजित मुहूर्त) | साहस, स्वास्थ्य, उच्च आत्मविश्वास |
पूजा प्रारंभ से पूर्व शुद्धिकरण के लिए स्नान आवश्यक है। फिर वामन प्रतिमा या चित्र स्थापित करके निम्नलिखित विधि अपनाएँ:
दीपक की उज्जवल ज्योति से वातावरण में नकारात्मकता कम होती है। हवन की धुआं एरोसोल कणों को न्यूट्रल कर मानसिक तनाव घटाता है। व्रत के अनुशासन से आत्मसंयम बढ़ता है जिससे जीवन पथ में स्पष्टता आती है।
इन विविध आयोजनों से पता चलता है कि वामन जयंती का महत्व पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में जीवित है।
विष्णु वामन मंत्र:
ॐ नमो भगवते वामनाय नमः
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
इन मंत्रों का जप आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रबल बनाता है और मन को एकाग्र करता है।
प्रश्न 1: वामन जयंती का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: अहंकार पर विनम्रता की विजय और धर्म की पुनर्स्थापना।
प्रश्न 2: व्रत के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
उत्तर: वामन प्रतिमा, दीपक, धूप, अक्षत, चावल, दही, मिश्री।
प्रश्न 3: व्रत कितने घंटों का होता है?
उत्तर: द्वादशी तिथि आरंभ से समाप्ति तक लगभग 24 घंटे।
प्रश्न 4: श्रवण नक्षत्र का महत्व क्या है?
उत्तर: यह ज्ञान और मानसिक शांति प्रदान करता है।
प्रश्न 5: व्रत का वैज्ञानिक लाभ क्या है?
उत्तर: व्रत से आत्मसंयम बढ़ता है, हवन से वायु शुद्ध होती है और दीपक से वातावरण स्वच्छ होता है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें