By पं. नीलेश शर्मा
राहु का कुंभ राशि में गोचर इस अमावस्या को कर्मिक बदलावों और पारिवारिक शांति के लिए विशेष बना रहा है
पिठोरी अमावस्या इस वर्ष 22 अगस्त 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह दिन प्राचीन काल से मातृशक्ति की उपासना, संतान के कल्याण, और पितृ ऋण मुक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। अमावस्या का समय सदैव अंत और नई शुरुआत का प्रतीक है, लेकिन इस वर्ष इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है क्योंकि राहु मई 2025 से कुंभ राशि में स्थित है। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत जीवन बल्कि सामूहिक चेतना को भी प्रभावित कर रही है। इस बार की पिठोरी अमावस्या केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक कर्मिक मोड़ है जो परिवार, प्रेम, धन और स्वास्थ्य से जुड़े गहरे परिवर्तन लेकर आ सकती है।
इस दिन पुराने कर्म और पारिवारिक ऋण शुद्ध होकर जीवन में नई दिशा प्रदान करते हैं। अमावस्या के अंधकार में दीप प्रज्वलित करना प्रतीक है कि हर अंत से एक नई शुरुआत जन्म लेती है।
राहु मई 2025 में कुंभ राशि में प्रवेश कर चुका है। कुंभ का स्वभाव है - प्रगति, नवाचार, समाज सुधार और परंपराओं को तोड़कर नई राह बनाना। राहु यहाँ अपनी ऊर्जा को और भी प्रबल कर देता है। इसका प्रभाव है:
पिठोरी अमावस्या पर राहु की यह स्थिति अमावस्या की शक्ति को कई गुना बढ़ा देती है। इससे किए गए साधन, मंत्र जाप और पितृ कर्मकांड पहले से अधिक प्रभावी सिद्ध होंगे।
इस बार की अमावस्या में केवल संतान और परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना नहीं की जाएगी, बल्कि गहरे कर्म बंधनों से मुक्ति का मार्ग भी खुलेगा।
यह दिन एक कर्मिक रीसेट की तरह काम करेगा, जहां पुराने बोझ हटकर नए अवसर सामने आएंगे।
राहु का स्वभाव है भ्रम और आसक्ति पैदा करना, लेकिन जब यह कुंभ राशि में आता है तो यह सुधारक बन जाता है। यह मनुष्य को बंधनों से मुक्त कर नई वास्तविकता में ले जाने का कार्य करता है।
इस वर्ष राहु का प्रभाव निम्न क्षेत्रों में विशेष रूप से दिखेगा:
कर्मिक संबंध प्रकट हो सकते हैं। कुछ रिश्ते अचानक टूटेंगे तो कुछ में नई गहराई आएगी। अंतर्ज्ञान पर भरोसा करना आवश्यक होगा।
नए अवसर अचानक सामने आ सकते हैं, विशेषकर तकनीक और सामाजिक नेटवर्क से जुड़े क्षेत्र में। लेकिन लालच या बिना सोचे-समझे लिया गया निर्णय नुकसान पहुँचा सकता है।
कई लोगों को पितृ ऋण या पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ गहराई से महसूस होगा। जो लोग पितृ तर्पण करेंगे उन्हें मानसिक शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होगी।
राहु मानसिक अशांति बढ़ा सकता है। योग, ध्यान और प्राणायाम इस समय मानसिक संतुलन और शांति बनाए रखने में सहायक होंगे।
इस अमावस्या पर किए गए कर्मकांड और उपाय अत्यंत प्रभावी होंगे।
क्षेत्र | राहु का प्रभाव | संभावित परिणाम |
---|---|---|
प्रेम और संबंध | कर्मिक रिश्तों का उद्घाटन | अचानक अलगाव या गहरे संबंधों का जन्म |
करियर और धन | तकनीक और नवाचार से नए अवसर | अचानक लाभ या हानि की संभावना |
परिवार और पितृ | पितृ ऋण और जिम्मेदारियों का अनुभव | पितृ तर्पण से शांति और आशीर्वाद |
स्वास्थ्य | मानसिक अस्थिरता और चिंता | ध्यान और योग से संतुलन |
पिठोरी अमावस्या 2025 केवल पारंपरिक अनुष्ठानों का दिन नहीं है, बल्कि यह जीवन की गहरी कर्मिक गाँठों को खोलने का अवसर भी है। राहु का कुंभ राशि में होना इसे और भी विशेष बना रहा है। इस दिन साधना, ध्यान, दान और पितृ कर्म करने से न केवल व्यक्तिगत जीवन में शांति और सफलता मिलेगी, बल्कि परिवार और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी नई ऊर्जा और आशीर्वाद का मार्ग खुलेगा।
अनुभव: 25
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