By पं. नीलेश शर्मा
राधा जयंती की तिथि, पूजन विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त
राधा अष्टमी हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह उत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद आता है और इसे राधा जयंती भी कहा जाता है। वर्ष 2025 में राधा अष्टमी रविवार, 31 अगस्त को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी। इस दिन भक्त राधा-कृष्ण मंदिरों में विशेष पूजन और भजन कीर्तन में सम्मिलित होते हैं।
तिथि और समय (Radha Ashtami 2025):
यह मध्याह्न काल ही राधा अष्टमी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जिस प्रकार भगवान कृष्ण के अवतरण का उत्सव है, उसी प्रकार राधा अष्टमी श्री राधारानी के दिव्य प्राकट्य का दिन है। वैष्णव परंपरा में राधा को कृष्ण की अनादि-शक्ति और उनकी परम आह्लादिनी शक्ति माना गया है। शास्त्रों में वर्णन है कि श्रीकृष्ण की लीला राधा के बिना अधूरी है।
इस दिन उपवास और विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि राधा रानी की कृपा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
राधा अष्टमी का पूजन बड़े सौंदर्य और भक्ति से किया जाता है। परंपरागत विधि इस प्रकार है:
प्रश्न 1: राधा अष्टमी 2025 किस दिन मनाई जाएगी?
उत्तर: यह उत्सव रविवार, 31 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
प्रश्न 2: राधा अष्टमी पर पूजन का श्रेष्ठ समय कब है?
उत्तर: मध्याह्न काल 11:05 बजे से 1:38 बजे तक का समय सबसे शुभ है।
प्रश्न 3: राधा अष्टमी पर क्या व्रत और अनुष्ठान करने चाहिए?
उत्तर: स्नान, संकल्प, राधा जी का पूजन, कथा श्रवण, मंत्रजप, आरती और दान-पुण्य किया जाता है।
प्रश्न 4: इस व्रत का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह राधा रानी के दिव्य प्राकट्य का उत्सव है और उनकी कृपा से भक्ति, प्रेम और आत्मिक उन्नति मिलती है।
प्रश्न 5: राधा अष्टमी का वैष्णव परंपरा में क्या स्थान है?
उत्तर: इसे राधा जयंती भी कहा जाता है और यह वैष्णव परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण उत्सव है।
अनुभव: 25
इनसे पूछें: करियर, पारिवारिक मामले, विवाह
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें