By पं. संजीव शर्मा
संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए संतान सप्तमी व्रत
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी व्रत किया जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत रविवार, 30 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं। व्रतधारिणी माता सूर्यदेव और संतान गोपाल की पूजा करती हैं तथा अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, संतान सप्तमी का व्रत रखने से संतान के जीवन से नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं। माता द्वारा श्रद्धापूर्वक किया गया यह व्रत बच्चों को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य प्रदान करता है। परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है तथा संतान पर आने वाली विपत्तियां टल जाती हैं।
व्रत की पूजा-विधि में आस्था और नियमों का विशेष महत्व है। परंपरा के अनुसार महिलाएं इस दिन निम्न चरणों का पालन करती हैं:
शास्त्रों में उल्लेख है कि यदि उसी वर्ष घर में संतान का विवाह हुआ हो तो संतान सप्तमी व्रत का उद्यापन भी करना चाहिए। उद्यापन विधि इस प्रकार है:
प्रश्न 1: संतान सप्तमी व्रत 2025 कब है?
उत्तर: यह व्रत रविवार, 30 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
प्रश्न 2: इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?
उत्तर: पूजा का निशीथ काल मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक है।
प्रश्न 3: संतान सप्तमी व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: इस व्रत से बच्चों को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य प्राप्त होता है तथा परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
प्रश्न 4: संतान सप्तमी व्रत की मुख्य पूजा विधि क्या है?
उत्तर: इस दिन महिलाएं स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देती हैं, संतान गोपाल की पूजा करती हैं, उपवास रखती हैं और संतान सप्तमी कथा सुनती हैं।
प्रश्न 5: उद्यापन कब किया जाता है?
उत्तर: जिस वर्ष संतान का विवाह हो, उस वर्ष इस व्रत का उद्यापन करना आवश्यक होता है।
अनुभव: 15
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