By पं. नीलेश शर्मा
जन्माष्टमी के छह दिन बाद मनाई जाने वाली कृष्ण छठी पर जानिए कढ़ी-चावल के भोग का महत्व और पूजा विधि
वर्ष 2025 में कृष्ण छठी का पर्व गुरुवार, 21 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। कुछ क्षेत्रों में यह उत्सव शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 को भी मनाया जाएगा।
यह पर्व जन्माष्टमी के छह दिन बाद मनाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की विशेष पूजा इसमें की जाती है।
कृष्ण छठी, जिसे "लड्डू गोपाल की छठी" भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की निश्छलता और दिव्य आनंद का उत्सव है। जैसे नवजात शिशु के जन्म के छठे दिन "छठी" मनाई जाती है, वैसे ही यह पर्व भी बालकृष्ण के जन्म की छठी के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण श्रीकृष्ण को नए वस्त्र पहनाते हैं और उनके लिए विशेष भोग का आयोजन करते हैं।
कढ़ी को सात्त्विक भोजन माना जाता है, जो हल्का और सुपाच्य होता है। यह बालकृष्ण जैसे नन्हें शिशु के लिए उपयुक्त माना जाता है।
कढ़ी-चावल घर-घर में बनने वाला सामान्य भोजन है, जो नंद और यशोदा के सादगीपूर्ण जीवन का प्रतीक है। इसे भगवान को अर्पित करना उस सरल जीवनशैली और निश्छल भक्ति को सम्मान देने का माध्यम है।
तत्व | अर्थ |
---|---|
दही आधारित कढ़ी | सात्त्विकता और पवित्रता |
चावल | सरलता और स्थिरता |
घरेलू व्यंजन | यशोदा-नंद का सादगीपूर्ण जीवन |
हल्का और सुपाच्य भोजन | बालकृष्ण के लिए उपयुक्त भोग |
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए। घर को गंगाजल से पवित्र किया जाता है और स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं।
यदि मंदिर जाना संभव हो तो राधा-कृष्ण मंदिर जाकर दर्शन और पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
प्रश्न 1: कृष्ण छठी 2025 कब है?
उत्तर: यह पर्व 21 अगस्त 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। कुछ स्थानों पर 22 अगस्त को भी इसे मनाने की परंपरा है।
प्रश्न 2: कृष्ण छठी क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के छह दिन बाद उनके बाल्यकाल की स्मृति में मनाया जाता है।
प्रश्न 3: इस दिन कढ़ी-चावल का भोग क्यों लगाया जाता है?
उत्तर: कढ़ी-चावल सात्त्विक और सरल भोजन है, जो यशोदा-नंद के जीवन और बालकृष्ण की मासूमियत का प्रतीक है।
प्रश्न 4: पूजा विधि में क्या शामिल है?
उत्तर: स्नान, घर की शुद्धि, राधा-कृष्ण की मूर्ति की स्थापना, पंचामृत अभिषेक, भोग अर्पण और आरती।
प्रश्न 5: इस दिन पूजा करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: पूजा से घर में समृद्धि, संतान की उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
अनुभव: 25
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