By पं. संजीव शर्मा
नवरात्रि 2025 पूजा विधियो, रंग, राज्यवार परंपराओं और जन-संवाद के साथ सर्वसंपर्की महोत्सव
नवरात्रि 2025 भारतभर में सोमवार, 22 सितम्बर से बुधवार, 1 अक्टूबर तक पूरे असीम उत्साह, भक्ति और उल्लास के साथ मनाई जाएगी। विजयदशमी अथवा दशहरा 2 अक्टूबर, गुरुवार को है, जो नवरात्रि की पूर्णता और नई शुरुआत का पर्व है। नवरात्रि के प्रत्येक दिन का जुड़ाव एक विशेष स्वरूप की देवी, विशेष रंग और पूजा से होता है। शारदीय नवरात्रि का शुभ अवसर देवी-मंदिरों में घंटियों की गूंज, घरों में स्थापित कलश और पूरे समाज में सामूहिक प्रार्थनाओं से और भी पावन हो जाता है।
दिन | तिथि | देवी का नाम | शुभ रंग | मुख्य पूजा विधि और परंपरा |
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1 | 22 सितम्बर | शैलपुत्री | सफेद | कलश स्थापना, शुद्धिकरण, घड़े की पूजा |
2 | 23 सितम्बर | ब्रह्मचारिणी | लाल | दीपदान, देवी के ध्यान की कथा |
3 | 24 सितम्बर | चंद्रघंटा | गहरा नीला | घंटा, शंख-ध्वनि, रथ-यात्रा |
4 | 25 सितम्बर | कूष्मांडा | पीला | पुष्प अर्पण, हलवे का भोग |
5 | 26 सितम्बर | स्कंदमाता | हरा | शिशु-पूजा, फल अर्पित करना |
6 | 27 सितम्बर | कात्यायनी | ग्रे | कन्या-पूजन, रक्षा सूत्र बांधना |
7 | 28 सितम्बर | कालरात्रि | नारंगी | तांत्रिक उपासना, रात्रि जागरण |
8 | 29 सितम्बर | महागौरी | मोर हरित | गौरी श्रृंगार, विवाहित महिलाओं का पूजन |
9 | 30 सितम्बर | सिद्धिदात्री | गुलाबी | पूर्णाहुति, कन्या भोज, विशेष पूजा |
10 | 1 अक्टूबर | नवरात्रि पारणा/विसर्जन | - | देवी प्रतिमा का विसर्जन, घर-घर हवन |
11 | 2 अक्टूबर | विजयदशमी (दशहरा) | - | शस्त्र-पूजन, रामलीला, रावण दहन, सर्वजन उत्सव |
दुर्गा के 9 देवी रूपों के बारे में अधिक जानकारी यहां पढ़ें।
नवरात्रि का शब्दार्थ है नौ रातें। लेकिन इसका स्वरूप कहीं अधिक गहरा और व्यापक है। देवी शक्ति के नौ रूपों की उपासना जिस परंपरा से शुरू होती है, वह भारतीय समाज में ऊर्जा, समर्पण और रचनात्मकता का महासंगम बनकर उभरती है। नवरात्रि के नौ दिन हर जगह अपने रंग, रस और स्वाद के साथ एक नया जीवन चक्र सृजित करते हैं। बच्चा, बुजुर्ग, युवा सभी उस उत्साह, आनंद और एकता का हिस्सा बनते हैं, जो हर सीमा, भाषा और जाति के परे, एक सार्वभौमिक पर्व की अनुभूति कराता है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नवरात्रि का रंग अलग है, लेकिन भावनाएं एक हैं:
गुजरात में रातभर गरबा, डांडिया और ताली, मां अम्बा की सामूहिक स्तुति का रूप लेते हैं। सतरंगी पोशाकें, ढोल, संगीत और हज़ारों की भीड़ गुजरात की नवरात्रि को भारत का सबसे जीवंत उत्सव बना देते हैं। गांव-गांव, शहर-शहर गरबा महोत्सव होते हैं। वहां गरबा एक प्रेरणा है संगीत और नृत्य के साथ आध्यात्मिक उन्नति का साधन।
महाराष्ट्र के मंदिरों में कावड़ी शोभायात्रा, सामूहिक भजन-कीर्तन और रात्रि चर्या का आयोजन होता है। व्रत के व्यंजन, जैसे साबूदाना वड़ा, थालीपीठ और खोप्रा पाक, स्वाद और श्रद्धा से भरपूर होते हैं। महाराष्ट्र की नवरात्रि में भजन की रसधारा और भोजन की मिठास पीढ़ियों को जोड़ती है।
यहां नवरात्रि का मतलब है दुर्गा पूजा। एक-से-बढ़कर-एक पंडाल, पारंपरिक और आधुनिक विषयों की झलक, प्राचीन कथाओं से लेकर सम-सामयिक मुद्दों तक का चित्रण, सामाजिक सजगता और भक्ति का अद्भुत संगम है। यहां ‘सिंदूर खेला’ एवं देवी विसर्जन में पूरे समाज की भागीदारी नजर आती है।
यहां मंदिरों में झांकी, रास-लीला, अखंड पाठ और बड़े-बड़े मेले लगाए जाते हैं। बहुत से परिवार पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं, जबकि कुछ पहले व आखिरी दिन। रामलीला का मंचन और देवी गीतों के माध्यम से सतर्कता और अनुशासन सिखाया जाता है।
यहां हर घर में गोलू देवी-देवताओं, जनता और लोक कथा की गुड़ियों को सीढ़ीदार ढांचे पर सजाया जाता है। महिलाएं-लड़कियां पारंपरिक भजन, गीत और नृत्य आयोजित करती हैं। आस-पड़ोस में प्रसाद वितरण से सामुदायिक बंधन प्रगाढ़ होते हैं।
पंजाब में छोटी कन्याओं की पूजा, राजस्थान में पशु पूजन और विशाल सामुदायिक भोज प्रमुख हैं। हिमालय की वादियों में साधक गंभीर तपस्या, जप एवं ध्यान में समय व्यतीत करते हैं।
भारतवर्ष में साल में दो मुख्य नवरात्रियाँ होती हैं शारदीय (अश्विन माह) और चैत्र (वसंत ऋतु)। शारदीय नवरात्रि में जहां देवी की शक्ति का जागरण, तांत्रिक अनुष्ठान, शक्ति-पीठ में रात्रि जागरण होता है, वहीं चैत्र में नये साल की शुरुआत और नवजागरण का संदेश मिलता है।
नवरात्रि के हर दिन को देवी के एक खास स्वरूप और रंग से जोड़ा जाता है, ताकि लालित्य, भक्ति और भावनाओं का संगम हो सके
यहां दस भुजाओं वाली देवी दुर्गा के दिव्य प्रतीकवाद की खोज करें।
नवरात्रि सर्वत्र गूँजती एक पुकार है शक्ति का मान, सत्य का पथ, विविधता का उत्सव और उन्नत भविष्य का विश्वास। चाहे नृत्य हो या ध्यान, कथा हो या उपवास, त्योहार की हर सांस्कृतिक धारा में एकता की चमक दिखाई देती है।
"हम अनेक हैं और यही हमारी सबसे बड़ी एकता और शक्ति है।"
22 सितम्बर (सोमवार) से 1 अक्टूबर (बुधवार) 2025 तक। दशहरा 2 अक्टूबर (गुरुवार) को है।
प्रत्येक दिन को एक विशेष देवी और रंग से जोड़ा गया है, जो ऊपर सारणी में दर्शाया गया है।
गुजरात (गरबा, डांडिया), बंगाल (दुर्गा पूजा), दक्षिण भारत (गोलू), महाराष्ट्र (भजन, कावड़), राजस्थान (लोकनृत्य), हिमालय (साधना)।
नहीं। यह सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिवारिक एकता, कर्मठता और जन-संवाद का भी उत्सव है।
डिजिटल गरबा, ऑनलाइन आरती, वीडियो कॉल पर भजन, नया भारत उत्सव की सीमाओं से आगे बढ़कर पूरी दुनिया को जोड़ रहा है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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