वैदिक ज्योतिष में चतुर्थ भाव को घर, माता, भावनाओं, घरेलू सुख-सुविधाओं, स्थिर संपत्ति और आंतरिक शांति का भाव माना जाता है। जब राहु इस भाव में स्थापित होता है, तो यह जीवन के भीतर और बाहर दोनों में गहरे परिवर्तन ला सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति के मन और पारिवारिक जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है, जो कभी अत्यधिक सुख देता है तो कभी अप्रत्याशित चुनौतियां लाता है।
चतुर्थ भाव में राहु के प्रमुख प्रभाव
- साहसिक प्रवृत्ति और राजकीय अथवा उच्च पदस्थ लोगों से लाभ।
- माता का सुख और उनके साथ भावनात्मक जुड़ाव।
- कीमती वस्त्र, आभूषण और संपत्ति का योग।
- अपने जन्मस्थान से लंबे समय तक दूर रहना या विदेश प्रवास की संभावना।
- साझेदारी के कार्यों में अच्छे परिणाम।
- कभी-कभी दो विवाह या दो लोगों से गहरा लगाव।
- 36 से 56 वर्ष की आयु के बीच भाग्य का प्रबल साथ।
- अशुभ स्थिति में मानसिक अशांति और असंतोष, भले ही सभी भौतिक सुविधाएं उपलब्ध हों।
भावनात्मक और पारिवारिक जीवन
चतुर्थ भाव में राहु व्यक्ति की भावनाओं को असामान्य तरीकों से व्यक्त करवा सकता है।
- परिवार के बनाए हुए नियमों से असहमति या विद्रोह की प्रवृत्ति।
- घर से जुड़ाव कम और नए स्थानों की खोज की इच्छा अधिक।
- असुरक्षा और भावनात्मक खालीपन का अनुभव।
- भौतिक वस्तुओं और सुख-सुविधाओं के प्रति बढ़ता आकर्षण।
माता और संतान संबंध
- माता के साथ भावनात्मक दूरी या उनके सुख की कमी का अनुभव।
- बचपन में किसी हानि या कमी के कारण बड़े होने पर भावनात्मक रूप से अलगाव की भावना।
- मातृ सुख की कमी का प्रभाव व्यक्तिगत जीवन के निर्णयों पर भी पड़ सकता है।
संपत्ति और करियर पर प्रभाव
- भूमि, भवन और अन्य अचल संपत्तियों में निवेश की प्रवृत्ति।
- व्यापार और पेशेवर कार्यों में विदेशी संपर्क से लाभ।
- राजनीतिक गतिविधियों या शक्ति की ओर आकर्षण।
- शुभ स्थिति में अप्रत्याशित सफलता और सामाजिक प्रतिष्ठा।
- अशुभ स्थिति में गलत साधनों से लाभ लेने की प्रवृत्ति और अचानक पतन की संभावना।
विभिन्न राशियों में चतुर्थ भाव का राहु
राशि | प्रभाव |
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वृषभ | उच्च स्थिति में राहु अत्यधिक धन, गुप्त आय के स्रोत, विदेशी सौदों से लाभ और करियर में उन्नति देता है। |
वृश्चिक | नीच स्थिति में राहु गुप्त विद्या और रहस्यमय कार्यों में दक्षता देता है, परंतु मानसिक स्थिरता में कमी ला सकता है। |
चतुर्थ भाव में राहु से बनने वाले प्रमुख योग
योग | विवरण |
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जड़त्व योग | राहु और बुध की युति से बनने वाला योग, जो तीव्र बुद्धि, संचार कौशल और समाधान क्षमता देता है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां भी ला सकता है। |
शंखपाल कालसर्प योग | राहु चतुर्थ भाव में और केतु दशम भाव में हो तो माता-पिता से संबंधों में तनाव और जीवन में रुकावटें आ सकती हैं। |
सकारात्मक राहु के परिणाम
- अचानक करियर, वित्त और शक्ति में वृद्धि
- जीवनसाथी के साथ मजबूत और सुखद संबंध
- माता और जन्मस्थान के प्रति गहरा लगाव
- स्थायी संपत्ति में वृद्धि और समृद्धि
नकारात्मक राहु के परिणाम
- शक्ति प्राप्ति के लिए गलत तरीकों का प्रयोग
- अचानक पतन और प्रतिष्ठा हानि
- क्रोध के कारण संबंधों और पेशेवर जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव
- मानसिक अस्थिरता और पारिवारिक तनाव
राहु के प्रभाव को संतुलित करने के उपाय
- बुधवार या शनिवार को राहु यंत्र की स्थापना करें और विधिवत पूजन करें।
- रात में सिरहाने एक मुट्ठी सतनाजा रखकर सुबह पक्षियों को खिलाएं।
- योग्य ज्योतिषी की सलाह से गोमेद रत्न धारण करें।
- राहु मंत्रों का नियमित जप करें।
राहु के मंत्र
- वैदिक मंत्र: ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृधः सखा। कया शचिष्ठया वृता।।
- तांत्रिक मंत्र: ॐ रां राहवे नमः
- बीज मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र1: क्या चतुर्थ भाव का राहु करियर में उन्नति देता है?
हाँ, विशेषकर शुभ स्थिति में यह अप्रत्याशित सफलता और सामाजिक प्रतिष्ठा देता है।
प्र2: क्या यह माता से संबंधों को प्रभावित करता है?
हाँ, भावनात्मक दूरी या मातृ सुख की कमी संभव है।
प्र3: क्या चतुर्थ भाव का राहु संपत्ति में लाभ देता है?
हाँ, यह भूमि, भवन और अचल संपत्ति में निवेश के योग बनाता है।
प्र4: शंखपाल कालसर्प योग क्या है?
जब राहु चतुर्थ भाव में और केतु दशम भाव में हो तथा सभी ग्रह इनके बीच हों, तो यह योग बनता है।
प्र5: राहु की अशुभता कैसे कम करें?
राहु यंत्र की स्थापना, सतनाजा दान और गोमेद रत्न धारण इसके प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं।