By पं. संजीव शर्मा
बलराम-शेषनाग, अवतार, धैर्य, कृषि, मित्रता, विश्वास और स्थिरता
हिंदू धर्म और पुराणों में कई ऐसे चरित्र हैं जिन्हें अक्सर मुख्य कथा से जुड़े हुए मान लिया जाता है, लेकिन वास्तव में उनकी उपस्थिति संपूर्ण सृष्टि-संरचना, संतुलन और दिव्यता के प्रतीक की तरह है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में सबसे बड़ा सहायक, सबसे स्थिर स्तंभ और एक तरह से सबसे गूढ़ साथी-बलराम हैं। जब भी श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है तब उनकी छाया में बलराम का दृढ़, सहज, लेकिन संयमित व्यक्तित्व उजागर होता है।
बलराम, जिन्हें दाऊजी, हलधर और संकर्षण जैसे नामों से भी जाना जाता है, श्रीकृष्ण के अग्रज हैं। वे न केवल आत्मिक-शक्ति, संतुलन और स्थिरता के प्रतीक हैं बल्कि प्रकृति की मूल जड़ों से जुड़े हुए हैं। जहां श्रीकृष्ण चंचल, कूटनीतिज्ञ और भाव-विभोर प्रेम के वाहक हैं, वहीं बलराम भूमि, कृषि, परंपरा और आधार का अवतार हैं।
शास्त्रों में यह कहा गया है कि बलराम स्वयं शेषनाग के अवतार हैं। शेषनाग या अनन्त शेष, हजारों फनों वाला वह दिव्य सर्प है जिस पर स्वयं भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और जिसका रूप अनंत, कालातीत और धैर्य-शक्ति का उच्चतम प्रतीक है।
व्यक्तित्व | रूप/अवतार | गुण |
---|---|---|
बलराम | शेषनाग का अवतार | स्थिरता, सहारा, शक्ति |
शेषनाग | दिव्य, अनंत सर्प | ब्रह्मांड धारण, संरक्षण |
शेषनाग का नाम संस्कृत में ‘अनन्त’ यानी अंतहीन और ‘शेष’ यानी जो सब कुछ नष्ट हो जाए, वह शेष बचा रहे। शेषनाग का अर्थ है-जब सृजन और प्रलय दोनों का नाश हो जाए तब भी जो बचा रहता है, वही शेष है। मान्यता है कि शेषनाग के फनों पर समस्त ग्रह, पृथ्वी और स्वयं ब्रह्मांड विराजमान हैं। भगवान विष्णु जब क्षीरसागर में ‘योगनिद्रा’ में होते हैं तब शेषनाग की कुंडलियों पर विश्राम करते हैं।
संस्कृत शब्द | अर्थ |
---|---|
अनन्त | अंतहीन |
शेष | शाश्वत बचा रहनेवाला |
शेषनाग संतुलन, धैर्य, सहिष्णुता और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के अद्वितीय स्रोत हैं। इसी कारण से भारत के अनगिनत मंदिरों और चित्रों में, भगवान विष्णु के नीचे शेषनाग सेतु की स्थिरता को प्रमुखता दी गई है।
जब अधर्म और अराजकता पृथ्वी पर बढ़ती है, भगवान विष्णु अवतार लेते हैं। अवतारों के प्रत्येक यात्रा में विष्णु के अनन्य सहचर भी दिव्य रूप लेते हैं। कृष्ण जब धर्म को स्थापन करने पृथ्वी पर उतरे, तो उनके साथ शेषनाग बलराम के रूप में अवतरित हुए। जहां श्रीकृष्ण स्वयं विष्णु के अवतार हैं, वहीं बलराम अनंत सहारे का मूर्त रूप हैं। जब-जब श्रीकृष्ण संघर्ष, संकट या बड़ी लीला में मग्न रहे, बलराम उनके संबल बने-ठीक वैसे, जैसे विष्णु को समस्त योगनिद्रा, आध्यात्मिक शक्ति और ब्रह्मांड-स्थिरता शेषनाग से मिलती है।
बलराम के जीवन से संबंधित कई कथाएं शेषनाग के गुणों को स्पष्ट करती हैं।
कथा/गुण | शेषनाग और बलराम में संबंध | जीवन शिक्षा |
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जन्म | दिव्य सहचरी, आत्म-बाल | सच्चे मित्र का महत्व |
हलधर रूप | शक्ति, कृषि, सुरक्षा | श्रम-संस्कार, व्यवस्था |
शांत स्वभाव | इन्द्रिय-नियंत्रण | संतुलन, विवेक |
यह सम्बन्ध किसी पुरानी कथा भर नहीं बल्कि हर काल के हर व्यक्ति के जीवन के भीतर छिपे विश्वास, मित्रता, धर्म और असली सहारे का संकेत देता है।
अगर दक्षिण भारत की यात्रा करें, तो तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभस्वामी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति शेषनाग के दिव्य आसन पर है। संपूर्ण भारत के सैंकड़ों मंदिरों की शिल्पकला और परंपरा में बलराम और शेषनाग का सम्बन्ध मूर्ति, चित्रकला और कथा के रूप में झलकता है। व्रजमंडल, द्वारका और असंख्य वृंदावन के चित्रों में बलराम के सिर पर नाग की आकृति, वस्त्र की बनावट या मुकुट की डिजाइन, शेषनाग का सांकेतिक संकेत देते हैं।
स्थल | विशेषता |
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द्वारका | बलराम के मंदिर, नागफण डिजाइन |
पद्मनाभस्वामी | विष्णु, शेषनाग शय्या |
वृंदावन, मथुरा | बलराम संवाद, संतुलन कथा |
जब जीवन में अस्थिरता, अनिश्चितता, या कमजोर क्षण आते हैं तब बलराम या शेषनाग के गुण अभ्यास अत्यंत सहायक होते हैं।
बलराम-शेषनाग के लिए प्रार्थना, मंत्र-जाप (‘ॐ अनन्त शेषाय नमः’, ‘ॐ बलरामाय नमः’), पूजा, हल/मुसल का प्रतीक घर में रखना-ये सब केवल भावना नहीं बल्कि जीवन में स्थिरता और आत्मबल बढ़ाने का अनूठा मार्ग है।
प्रश्न 1: शेषनाग का वास्तविक प्रतीकवाद क्या है?
उत्तरा: अनंत सहारा, धरती की प्रबल ऊर्जा, विश्व का संतुलन और निःस्वार्थ मित्रता।
प्रश्न 2: बलराम कृषि देवी क्यों कहे जाते हैं?
उत्तरा: हलधारी बलराम की पूजा कृषि, श्रम और जीवन-आधार को शक्ति देती है; यह शेषनाग के ब्रह्मांडधारण के समान है।
प्रश्न 3: बलराम-शेषनाग के क्या अन्य पौराणिक अवतार या स्वरूप हैं?
उत्तरा: शेषनाग ने रामावतार में लक्ष्मण का रूप, कृष्णावतार में बलराम का रूप और अन्य जगह अनुचर के रूप में सहारा देनेवाले शक्तिपुंज का अवतार धारण किया।
प्रश्न 4: बलराम के हल या मुसल का प्रतीक क्या बताता है?
उत्तरा: हल प्रिय, भूमि की उर्वरता, पालन-पोषण और शक्ति से जुड़े जीवन का सत्य।
प्रश्न 5: क्या आज के समय में बलराम-शेषनाग उपासना मन, शरीर, परिवार को संतुलित कर सकती है?
उत्तरा: हाँ, सकारात्मक ऊर्जा, स्थिर मस्तिष्क, सामाजिक एकता और पारिवारिक सुख का अनुभव बलराम-सिद्धांतों द्वारा आसानी से पाया जा सकता है।
हर महान शक्ति के पीछे कोई अदृश्य ‘शेषनाग’ होता है-मूक मददगार, ताकतवर आधार और निर्बाध साथी। बलराम-शेषनाग का संस्कार केवल कथा नहीं, जीवन की हर चुनौती, रिश्ते और बदलाव के पीछे छिपी दिव्यता का आशीर्वाद है। जब अगली बार आप बलराम को देखें या शेषनाग की कथा सुनें, याद रखें कि यह साझेदारी हर आत्मा की यात्रा के लिए अधिष्ठान है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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