By पं. नीलेश शर्मा
जानिए उन प्रमुख नाग कथाओं को, जिनमें छुपा है जीवन, धर्म और शक्ति का रहस्य और कद्रू के शाप व ब्रह्मा के वरदान का संदेश।
भारतीय पुराणों और महाकाव्यों में नागों का स्थान अत्यंत रहस्यमय और शक्तिशाली माना गया है। शेष, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, कालिया के अलावा भी कई ऐसे नाग हैं जिनकी कथाएँ भारतीय संस्कृति में गहराई से रची-बसी हैं। मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, धनंजय जैसे नागों की गाथाएँ न केवल रोमांचक हैं, बल्कि जीवन, धर्म, शक्ति और करुणा का संदेश भी देती हैं। इनके साथ ही नागों की माता कद्रू द्वारा दिए गए शाप और ब्रह्मा जी के वरदान की कथा भी अत्यंत प्रेरक है।
मणिभद्र नाग को नागों के रक्षक और लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है। मणिभद्र उज्जैन के पास स्थित नागलोक के अधिपति माने जाते हैं। कथा है कि एक बार उज्जैन में महामारी फैल गई। लोगों ने मणिभद्र नाग की पूजा की और दूध, फूल, चावल अर्पित किए। मणिभद्र ने प्रसन्न होकर नगरवासियों को महामारी से मुक्ति दिलाई। आज भी नागपंचमी के दिन मणिभद्र की विशेष पूजा होती है। मणिभद्र को नागों के कल्याणकर्ता, भक्तों के रक्षक और संकटमोचक के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा से सर्पदंश, भय और रोग दूर होते हैं।
ऐरावत नाग को इंद्र के दिव्य हाथी के रूप में जाना जाता है। कथा है कि समुद्र मंथन के समय ऐरावत का जन्म हुआ। ऐरावत श्वेत, विशाल और चार दांतों वाला दिव्य हाथी था। इंद्र ने ऐरावत को अपना वाहन बनाया। ऐरावत की सूंड से अमृत की धार बहती थी, जिससे इंद्रलोक में वर्षा और समृद्धि आती थी। ऐरावत को नागों का राजा भी कहा जाता है। ऐरावत की पूजा से ऐश्वर्य, शक्ति और वर्षा की प्राप्ति होती है। ऐरावत का नाम नागों के अष्टकुल में प्रमुखता से लिया जाता है।
धृतराष्ट्र नाग कद्रू और कश्यप के पुत्रों में से एक हैं। महाभारत में धृतराष्ट्र नाग का उल्लेख नागों के प्रमुख कुलपति के रूप में मिलता है। कथा है कि धृतराष्ट्र नाग अत्यंत बलशाली, दीर्घायु और धर्मनिष्ठ थे। नाग यज्ञ के समय धृतराष्ट्र नाग ने आस्तिक मुनि से प्रार्थना की कि नाग जाति की रक्षा की जाए। आस्तिक मुनि की करुणा और जनमेजय के यज्ञ के समापन से धृतराष्ट्र नाग सहित अनेक नागों की रक्षा हुई। धृतराष्ट्र नाग को संतुलन, धैर्य और धर्म का प्रतीक माना जाता है।
धनंजय नाग भी कद्रू के पुत्रों में से एक हैं। धनंजय नाग का उल्लेख महाभारत और पुराणों में नागों के अष्टकुल में होता है। कथा है कि धनंजय नाग अत्यंत बुद्धिमान, तांत्रिक शक्तियों से युक्त और नागलोक के रक्षक थे। नागपंचमी के दिन धनंजय नाग की पूजा करने से समृद्धि, सुरक्षा और अभयदान की प्राप्ति होती है। धनंजय नाग की कथा यह सिखाती है कि ज्ञान, शक्ति और सेवा से जीवन में संतुलन और सफलता मिलती है।
कद्रू नागों की माता थीं। एक बार कद्रू ने अपनी बहन विनता के साथ छल किया। कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि वे उच्चैःश्रवा घोड़े की पूंछ को काला दिखाएँ। कुछ नाग पुत्रों ने छल करने से मना कर दिया। कद्रू ने क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि वे भविष्य में सर्प यज्ञ में भस्म हो जाएँगे। इस शाप के कारण नागों के विनाश का भय उत्पन्न हुआ।
नागों के विनाश से व्यथित होकर नागों ने ब्रह्मा जी से रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मा जी ने वरदान दिया कि जो नाग धर्म, सत्य और करुणा के मार्ग पर चलेंगे, वे सदा सुरक्षित रहेंगे। ब्रह्मा जी ने आस्तिक मुनि को नागों की रक्षा के लिए प्रेरित किया। आस्तिक मुनि के प्रयास से नाग यज्ञ रुका और नागों को अभयदान मिला। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि धर्म, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने वालों की सदा रक्षा होती है।
नाग/पात्र | कथा/घटना | संदेश/महत्व |
---|---|---|
मणिभद्र | उज्जैन के रक्षक, महामारी से मुक्ति | रक्षा, कल्याण, लोकदेवता |
ऐरावत | इंद्र का वाहन, समुद्र मंथन से उत्पत्ति | शक्ति, ऐश्वर्य, वर्षा |
धृतराष्ट्र | नागों के कुलपति, नाग यज्ञ में रक्षा | संतुलन, धर्म, धैर्य |
धनंजय | नागलोक के रक्षक, तांत्रिक शक्तियाँ | समृद्धि, सुरक्षा, ज्ञान |
कद्रू का शाप | नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का शाप | छल, परिणाम, विनाश |
ब्रह्मा का वरदान | धर्मी नागों की रक्षा, आस्तिक मुनि की प्रेरणा | धर्म, करुणा, अभयदान |
इन नाग कथाओं में छुपा है जीवन का संतुलन, धर्म, करुणा और शक्ति का संदेश। मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, धनंजय जैसे नागों की पूजा और कथाएँ यह सिखाती हैं कि जीवन में रक्षा, सेवा, संतुलन और सत्य का मार्ग ही सच्ची सफलता और शांति देता है। कद्रू के शाप और ब्रह्मा के वरदान की कथा यह बताती है कि छल, अहंकार और अधर्म से विनाश होता है, जबकि धर्म, करुणा और सत्य से अभयदान और कल्याण मिलता है।
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